AAP को एक दिन में दो झटके, Arvind Kejriwal को नहीं मिला बेल एक्सटेंशन, विभव फिर पुलिस हिरासत में

AAP यानी आम आदमी पार्टी को अदालत से एक दिन ही में दो बड़े झटके लगे हैं। पहला झटका तो यह कि सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। अरविंद केजरीवाल ने जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की वेकेशन बेंच के समक्ष अग्रिम जमानत के एक्सटेंशन के लिए याचिका लगाई थी। अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मेंशन किया। सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया कि वेकेशन बेंच में जस्टिस दीपांकर दत्ता के रहते यह याचिका क्यों नहीं लगाई गई। बेंच ने कहा कि वो याचिका को चीफ जस्टिस के पास भेज रहे हैं। अब वो ही फैसला करेंगे कि इस याचिका कब और सुनेगा।

केजरीवाल के वकीलों ने बेंच के सामने यह तर्क रखा कि उन्होंने अंतरिम जमानत की शर्तो का पालन किया है, और आगे भी करते रहेंगे। वो 9 जून को समर्पण कर देंगे। उन्होंने कहा कि अंतरिम जमानत को विस्तारित करने का आदेश इसलिए भी दिया जाना चाहिए क्यों कि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित है, लेकिन वेकेशन बेंच के सामने अरविंद केजरवाल के वकीलों की एक नहीं चली।

उचित आदेश पारित करने के लिए ज्ञापन को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। 10 मई के अंतरिम आदेश के मुताबिक केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना है।

आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख ने कहा कि उन्हें पीईटी-सीटी स्कैन सहित क्लिनिकल ​जांच करानी होगी। वह राहत को 7 दिनों की अवधि के लिए बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम उपाय के रूप में न्यायिक हिरासत से रिहा किया गया था। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को उनके आवास से गिरफ्तार किया था, जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें दिन में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। तब से वह 10 मई तक हिरासत में रहे, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कुछ शर्तों के अधीन 1 जून तक अंतरिम रिहाई का लाभ दिया।

आम आदमी पार्टी को दूसरा झटका विभव कुमार की शक्ल में लगा। विभव कुमार को तीस हजारी अदालत में पेश किया गया। विभव कुमार की सोमवार को चार दिन की जुडीशियल कस्टडी पूरी होने के बाद अदालत के सामने पेश किया गया था। जैसे ही विभव कुमार को अदालत के सामने लाया गया वैसे ही पुलिस ने विभव की पांच दिन की कस्टडी के लिए अर्जी लगा दी। विभव कुमार की ओर से पेश हुए वकीलों ने पुलिस कस्टडी की अर्जी का विरोध किया लेकिन सरकारी वकील ने कहा कि विभव कुमार पर लगे आरोप संगीन हैं और अभी विभव कुमार से शिनाख्त कराना बाकी है इसलिए उसको कस्टडी में लेना जरूरी है। दोनों ओर से हुई तीखी नोक-झोंक के बाद मजिस्ट्रेट ने विभव को तीन दिन के लिए पुलिस कस्टडी में भेजने के आदेश जारी कर दिए।

इससे पहले, विभव कुमार को मोबाइल डेटा रिकवरी के लिए पिछले हफ्ते मुंबई ले जाया गया था, जहां कथित रूप से उन्होंने गिरफ्तारी से पहले अपना मोबाइल फॉर्मेट कर दिया था। पुलिस को संदेह है कि विभव कुमार ने मोबाइल डेटा किसी शख्स को ट्रांसफर करने के बाद फोन को फॉर्मेट किया होगा। हालांकि, पुलिस ने विभव कुमार का मोबाइल, लैपटॉप, केजरीवाल के घर के सीसीटीवी फुटेज को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है।

दिल्ली कोर्ट ने सोमवार को ही विभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन एडिशनल सेशन जज सुशील अनुज त्यागी ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। अब कहा जा रहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़िता की ओर से कोई पूर्व-चिंतन (प्री मेडिटेशन) नहीं किया गया है, क्योंकि यदि ऐसा होता तो उसी दिन एफआईआर दर्ज कर ली गई होती। जांच अभी शुरुआती चरण में है। गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। आवेदक के खिलाफ लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए इस स्तर पर जमानत का कोई आधार नहीं बनता है।

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