जेल में यही सोचता था कि मैं भी भगवान राम के मर्यादा के रास्ते पर चल रहा हूं, यह छोटी-मोटी बाधाएं तो आएंगी ही- Manish Sisodia

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गुरुवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र पटपड़गंज के रास विहार में भव्य रामलीला महोत्सव और दशहरा महोत्सव का उद्घाटन किया। कानधेनु रामलीला समिति की ओर से आईपी एक्सटेंशन में वेस्ट विनोद नगर मेट्रो स्टेशन पास डीडीए पार्क में आयोजित रामलीला महोत्सव का मनीष सिसोदिया ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत शुभारम्भ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान राम ने मर्यादा स्थापित की थी कि जब भी कोई लोगों की सेवा करने की कोशिश करेगा, उसे वनवास झेलना पड़ेगा। भगवान राम तो सबकुछ कर सकते थे। इसके बाद भी उन्होंने उत्तम मर्यादा का ध्यान में रखते हुए सारे कष्ट उठाए। जेल में यही सोचता था कि मैं भी भगवान राम के मर्यादा के रास्ते पर चल रहा हूं, यह छोटी-मोटी बाधाएं तो आएंगी।

दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम सब पर भगवान राम की विशेष कृपा रही है। मैं बचपन से भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेता रहा। बड़े होने के दौरान मेरे परिवार ने मुझे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के बारे में बताया। लेकिन भगवान राम का जीवन किसी के लिए कितना प्रेरणादायी हो सकता है, यह मैंने 17 महीने जेल में रहकर देखा। जब मैं इनके झूठे आरोपों के चलते 17 महीने जेल में था, तो मैं वहां रामायण, रामचरित मानस समेत कई महान विभूतियों द्वारा व्याख्या की गई रामायण, रामलीला और रामचरितमानस की किताबें पढ़ता था। मैंने भगवान राम के चरित्र पर लिखी कई किताबें पढ़ीं।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि मैं अक्सर सोचता था कि भगवान राम तो भगवान थे। वह चाहें तो कुछ भी कर सकते थे। उनके इशारे के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने एक पुरुष की उत्तम मर्यादा का ध्यान रखते हुए कई कष्ट उठाए। वह बचपन में परिवार छोड़कर गुरु विश्वामित्र के साथ चले गए। 14 वर्ष का वनवास किया, लंका का युद्ध लड़ा। इसके बाद राजकाज में भी कई कष्ट उठाए। सीता माता से भी अलग रहना पड़ा। उनके मुकाबले हमारे कष्ट कुछ भी नहीं हैं।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि भगवान राम ने अयोध्या के लोगों की सेवा के लिए 14 साल का वनवास झेला था। उन्होंने यह मर्यादा स्थापित की थी कि जो भी जनता की सेवा करेगा, उसे वनवास का कष्ट झेलना ही पड़ेगा। जब भी कोई व्यक्ति लोगों और बच्चों के लिए कुछ करने के बारे में सोचेगा, तो भगवान के रास्ते पर चलने में वनवास जरूर आएगा। मुझे जेल में बैठकर अक्सर यह ख्याल आता था कि मैं भगवान राम के रास्ते पर चल रहा हूं। उन्होंने विश्व के लिए इतना बड़ा काम किया, तो मैं तो छोटा सा आदमी हूं और छोटी सी दिल्ली के लिए कुछ करने की कोशिश कर रहा हूं तो ये बाधाएं तो आएंगी। जब भगवान राम ईश्वर होकर 14 साल का वनवास झेल सकते हैं, तो हम तो इंसान हैं। अपने अंदर के सुधार और मजबूती के लिए तो हमारे लिए यह चीजें और जरूरी हो जाती हैं। मैंने इस विपरीत समय में भगवान राम से जितनी प्रेरणा ली है, मुझे लगता है कि किसी के सामने भी ऐसी स्थिति आए तो भगवान राम से बढ़कर उसके सामने कोई और बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती।

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