ISRO ने रॉकेट गगनयान की अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित निकालने वाली प्रणाली का सफल प्रदर्शन किया
ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो ने आज अपने रॉकेट गगनयान की आपदा की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित निकालने की प्रणाली का सफल प्रदर्शन किया।
श्रीहरिकोटा से गगनयान मिशन के क्रू-मॉडल का सफल परीक्षण किया गया। 2025 में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भेजने की तैयारी के तौर पर इसरो ने टीवी डी-1 मिशन का परीक्षण किया। अगले साल इसरो को मानव रहित मिशन पूरा करना है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित लैंडिंग, अंतरिक्ष यात्रियों का सुरक्षित बचाव और क्रू-मॉडल का परीक्षण करना था।
गगनयान को तीन बार रोकने के बाद सवेरे दस बजे सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। इसे श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के पहले लॉन्च पैड से ठीक 10 बजे सवेरे छोड़ा गया। नौ मिनट के बाद क्रू-मॉडल श्रीहरिकोटा से दस किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में गिरा।
वहां पर मॉड्यूल की रिकवरी के लिए नौसेना को तैनात किया गया था। नौसेना के गोताखोर मॉड्यूल को निकाल कर नौसेना के पोत में लाए। आज इसे मद्रास बंदरगाह पर लाया जाएगा।
प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि सभी मानदंड और प्रक्रियाएं योजनानुसार पूरे किए गए। उन्होंने कहा कि इस उड़ान ने साबित किया है कि अंतरिक्ष यात्रियों को किसी भी तकनीकी खराबी की स्थिति में सुरक्षित बाहर लाया जा सकता है।
समुद्र में गिरने का परीक्षण भी किया गया जोकि सफल रहा। श्री सोमनाथ ने बताया कि इस परीक्षण यान को सवेरे आठ बजे भेजा जाना था लेकिन मौसम की खराबी के कारण इसे साढ़े आठ बजे तक स्थगित किया गया। इसके बाद निगरानी व्यवस्था में गड़बड़ी के कारण इसे दोबारा रोक दिया गया। इसरो अध्यक्ष ने बातया कि गैस दोबारा भरने और परीक्षण यान की जांच के बाद प्रक्षेपण की प्रक्रिया सवेरे दस बजे फिर शुरू की गई। उन्होंने बताया कि इसरो की पूरी टीम भविष्य में गगनयान के प्रक्षेपण के लिए तैयार है।
मिशन के निदेशक शिव कुमार ने बताया कि मॉड्यूल की रिकवरी के बाद पूरे विवरण की छान-बीन की जाएगी। मिशन के निदेशक ने कहा कि आज का अनुभव ऐतिहासिक रहा और गगनयान मिशन पर काम करने वाले सभी लोगों के लिए प्रेरक था।