Bhai Dooj 2023: इस दिशा में बिठाकर भूलकर भी न लगाएं भाई को तिलक, जानें सही दिशा

Bhai Dooj 2023: इस साल दीपावली के बाद भाई-बहन का पवित्र त्योहार भाई दूज 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

अगर आप भी अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको तिलक लगाने के वास्तु नियम भी पता होना चाहिए। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार तिलक लगानते समय भाई का चेहरा किस दिशा (Tilak ke Niyam)  में होना चाहिए।

दीपावली के बाद बहनें भाइयों के तिलक की तैयारी पूरी करेंगीं। बस आपको तिलक करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना है। अगर आप भी इन्हें ध्यान रखते हैं तो आपका अपने भाइयों से संबंध मधुर होंगे। साथ ही ऐसा करने से उन भाइयों-बहनों को जीवन भर यम का भय नहीं रहता है।

आइए हम आपको बताते हैं कि वास्तु के अनुसार तिलक करते समय भाई-बहन का चेहरा किस दिशा में होना चाहिए।

इस दिशा में हो भाई का चेहरा

तिलक करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि भाई का चेहरा उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में से किसी एक ओर हो। वहीं बहन का चेहरा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इस दिशा में तिलक करना और करवाना शुभ माना जाता है।

मुहूर्त की बात करें तो ज्योतिषाचार्य पंडित सनत कुमार खम्परिया के अनुसार भाई दूज का तिलक किसी भी समय लगाया जा सकता है।

इस तरह से करें भाई का तिलक

जहां तक संभव हो कोशिश करें कि भाई दूज पर भाई सोफे और कुर्सी पर बैठने की बजाए जमीन पर चौक पर बैठै। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।

इसलिए तिलक करने से पहले बहनें जमीन पर आटा या गोबर से चौक बना लें। चौक बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि चौक ऐसा बनाएं जिससे भाई का
चेहरा उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में आए।

वहीं बहन का चेहरा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर हो। इसके बाद चौक पर लकड़ी का पाटा रखकर उस पर भाई को बिठायें।

फिर बहनें खुद भी किसी आसन या पाटे पर बैठें और भाई के माथे पर तिलक लगाएं।

भाई के हाथ में कलावा बांधकर दीपक जलाकर भाई की आरती करें। मिठाई खिलाकर भाई की लंबी आयु की कामना करें।

भाई को तिलक करते समय रखें इन बातों का ध्यान

तिलक के समय भाई या बहन काले रंग के कपड़े न पहनें।

आपस में झगड़ा न करें। घर में भी शांति का माहौल बनाये रखें।

संभव हो तो बहनें तिलक करने से पहले तक उपवास करें। तिलक करने के बाद ही कुछ खाएं।

उपहार का निरादर न करें।

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