Diwali Intresting Facts: इस गाँव में शमशान घाट पर मनातें है दिवाली, कहानी जानकर रह जाएंगे हैरान !

Diwali Intresting Facts: देशभर में दीपावली का जश्न धूम-धाम से मनाया जाता है। घर-घर में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की जाती है। इस रौशनी के त्यौहार में व्यक्ति केवल शुभ कामों की कामना करता है। लेकिन राजस्थान के अलवर जिले के बानसूर में ऐसा नहीं है।

पिछले दस साल से चले आ रहे रिवाज के अनुसार बानसूर के लोग दिवाली के मौके पर शमसान घांट पर दिवाली की पूजन करते हैं। बानसूर में लोग दीपावली के दिन सुबह महिलाओं व बच्चों के साथ श्मशान घाट जाकर दिवाली पूजन करते हैं।

दिवाली के दिन गाँव के लोग सुबह शमशान घाट पर सती माता की पूजा करते हैं। और घर में शाम को लक्ष्मी माता की पूजन की जाती है।

400 साल पुरानी है शमशान घाट पर पूजन की कहानी ?

इस कहानी की शुरुआत लगभग 400 साल पहले शुरू हुई थी। बानसूर के एक ग्रामीण के यादव समाज के गूता नमक गांव के रहने वाले लड़के और बाबरिया गांव की एक लड़की की सगाई हुई थी।

दोनों की सगाई के कुछ दिन बाद लड़की के मंगेतर की मौत हो गई थी। जिस वक्त लड़की के मंगेतर की मौत हुई उस समय लड़की गोबर । का कार्य कर रही थी।

अचानक से लड़की के हाथ पर गोबर की जगह मेहंदी रचने लगी। इसके बाद लड़की अपने मंगेतर के पास पहुंची। जहाँ उसे पता चला की उसके मंगेतर की मृत्यु हो गयी है।

जिसके बाद लड़की युवक के शरीर से कुछ दूरी पर बैठ गयी। जिसके बाद युवक के शरीर में स्वयं ही आग लग गयी। जब से ही लड़की को सभी लोग सती माता के रूप में मानने लगें।

और हर साल होली और दिवाली पर केवल गांव की महिलाएं और बच्चे नंगे पेअर चलकर शमशान घाट पर सती माता की पूजा करते हैं।

क्यों करते हैं शमशान घाट पर दिवाली पूजन ?

बानसूर गाँव के ग्रामीणों का कहना है कि दिवाली के दिन शमशान घाट पर सती माता की पूजा करने से परिवार के सदस्यों की उम्र लम्बी होती है। साथ ही घर में खुशाली आती है।

बानसूर गाँव में ये रिवाज पिछले करीब दस साल से चल रहा है। मन जाता है की गांव में किसी के घर में नई शादी या नवजात का बच्चे का जन्म होने वाले परिवार विशेष रूप से दिवाली के दिन श्मशान घाट पर पूजा करने जाते हैं।

गाँव के लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि महिलाओं और बच्चो द्वारा बीमार सदस्य के ठीक होने की सती माता के सामने मनोकामना करने से सब ठीक हो जाता है।

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