BRICS on Israel-Hamas: भारत ने कहा है कि वह तनाव कम करने की दिशा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी प्रयासों का स्वागत करता है क्योंकि गाजा में चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष के कारण भारी मानवीय पीड़ा हो रही है।
उन्होंने इसरायल के सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई और गाजा में चल रहे युद्ध को रोकने के प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
ब्रिक्स की वर्चुअल असाधारण संयुक्त बैठक में अपने संबोधन में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि मानवीय सहायता और राहत गाजा की आबादी तक प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से पहुंचे।
उन्होंने कहा कि यह भी जरूरी है कि सभी बंधकों को रिहा किया जाए। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना एक सार्वभौमिक दायित्व है।
डॉ. जयशंकर ने आगे कहा कि भारत संयम और तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता के साथ-साथ बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान पर भी जोर देता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संदर्भ में क्षेत्र और दुनिया भर के कई नेताओं से बात की है और शांति के लिए स्थितियां बनाने और सीधी और सार्थक शांति वार्ता फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों की चिंताओं को गंभीरता से और टिकाऊ तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए और यह केवल दो-राज्य समाधान के साथ हो सकता है जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का लगातार समर्थन करता रहा है।
उन्होंने बताया कि फिलिस्तीन को भारत की आर्थिक सहायता, वहां विकासात्मक परियोजनाएं और फिलिस्तीनी प्राधिकरण को वित्तीय सहायता उसकी स्थिति को दर्शाती है। उन्होंने कहा, भारत संयुक्त राष्ट्र राहत और कल्याण एजेंसी की भूमिका का समर्थक बना हुआ है और सालाना पांच मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दे रहा है।
गाजा में संकट के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने 16.5 टन दवाओं और चिकित्सा आपूर्ति सहित 70 टन मानवीय सहायता भी भेजी है और उसकी राहत सहायता जारी रहेगी।
भारत के इसरायल और फिलिस्तीन दोनों से मित्रवत संबंध हैं। भारत इन संबंधों को उभयपक्षीय बनाए रखने का हामी रहा है। भारत ने कहा है यहां सवाल सिर्फ इसरायल और फिलिस्तीन का नहीं बल्कि गाजा से इसरायल पर किए जा रहे आतंकी हमलों का भी है। गत 7 अक्टूबर को इसरायल पर हमास के आतंकियों द्वारा किया गए हमले की हमेशा भर्त्सना की जाएगी। मौजूदा परिस्थितियों में विनाशलीला को रोकने के लिए इसरायल के अगवा किए गए सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई अविलम्ब आवश्यक है।
इस वर्चुअल मीटिंग में व्यस्तताओं के कारण हिस्सा नहीं लिया था। उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व किया। भारत ने शुरू से ही इस मामले में जहां इसरायल की तरफदारी की है तो वहीं गाजा युद्ध की विभीषिका से त्रस्त लोगों को हरसंभव मानवीय मदद पहुंचाने का हिमायती रहा है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश था जिसने सबसे पहले राहत सामग्री से भरा जहाज गाजा भेजा था। भारत कभी गाजा पर कब्जे के पक्ष में भी नहीं रहा है लेकिन इसरायल पर हमास के हमलों का भी भारत ने हमेशा विरोध किया है।
ध्यान रहे, गाजा की बिजली-पानी, रोजगार और खाना-पीना और दवाएं इसरायल ही मुहैया करवाता है। यहां तक कि इजरायल और गाजा के संघर्ष में घायल होने वाले लोगों का इलाज भी इसरायल के अस्पतालों में इसरायल के डॉक्टर और नर्स करते हैं। गाजा की माताएं अपने बच्चों को जन्म भी इजरायल के मेटरनिटी होम्स में देती हैं। इसरायल के भीतर 20 लाख अरब-मुसलमान रहते हैं लेकिन इसरायल की यहूदी सरकार उनके साथ कभी दोयम दर्जे का बर्ताव नहीं करती है। इसरायल में अरब-मुसलमानों की बहुतायत वाला एक विपक्षी दल यूनाइडेट अरब लिस्ट है। यहूदी भाषा में इस शब्द को आरएएएम (राम) कहा जाता है।