Supreme Court का केजरीवाल को झटका, मुख्य सचिव को मिला सेवा विस्तार

Supreme Court ने बुधवार को दिल्ली राज्य की केजरीवाल सरकार को जोर का झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सेवा विस्तार को उचित ठहराया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों को सलाह दी थी कि वो मिल बैठकर समस्या का समाधान करें। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से मुख्य सचिव के पद के लिए पांच अफसरों के नाम भी देने को कहा था। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलों से सुप्रीम कोर्ट को काफी समझाने की कोशिश की मगर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ पर उसका कोई असर नहीं हुआ। अंत में पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य सचिव नरेश कुमार दिए गए सेवा विस्तार को संविधान सम्मत और उचित बताया।

मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री में आखिर झगड़ा क्या है?

वर्तमान मुख्य सचिव नरेश कुमार गुरुवार को रिटायर होने वाले थे और अगला मुख्य सचिव कौन होगा इसको लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच खींचतान बढ़ गई थी। सत्ता के गलियारे की खबरें ऱखने वाले लोगों का कहना है दिल्ली शराब घोटाले की फाइलें मुख्य सचिव नरेश कुमार ने ही राज्यपाल के पास पहुंचाई थीं। जिसके बाद राज्यपाल वीके सक्सेना ने शराब नीति घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जिसके बाद कई अन्य लोगों के अलावा डिप्टी चीफ मिनिस्टर मंत्री मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह को जेल जाना पड़ा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपमान का घूंट पीना पड़ा है। केजरीवाल और उनके सहयोगी काफी दिनों से नरेश कुमार से बदला लेने की फिराक में थे। इसलिए नरेश कुमार के रिटायरमेंट से ठीक पहले भूमि घोटाले की फाइल खोली गई। मंत्री आतिशी मार्लेना ने खुद जांच  की और पांच सौ पन्नों जांच रिपोर्ट राज्यपाल के पास भेजी और सीबीआई जांच की सिफारिश तक कर डाली।

अब छह और महीने का सेवा विस्तार मिल जाने के बाद नरेश कुमार फिर से शक्तिशाली हो गए हैं। अब सरकार का कोई भी निर्णय मुख्यसचिव यानी नरेश कुमार की निर्णय से प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा। इसीलिए कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक चाल और फेल हो गई।  बुधवार से पहले  24 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति हमेशा करती है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सेवा विधेयक का जिक्र करते हुए ‘आक्षेपित संशोधन से पहले भी’ ये नियुक्तियां की थीं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह कहा गया कि दिल्ली के उपराज्यपाल और केंद्र नामों का एक पैनल क्यों नहीं बनाते। साथ ही कहा कि अंतिम विकल्प आपके पैनल में से होगा। इस बात के साथ सुनवाई की तारीख 28 नवंबर को दे दी।

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार यह योजना बना रही है कि दिल्ली के मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाया जाए। इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की सहमति के बिना ही चीफ सेक्रेटरी के कार्यकाल को बढ़ाने की यह कोशिश है और यह विस्तार सही और वैध नहीं है। बहरहाल, बुधवार को अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुप्रीम कोर्ट में एक नहीं चलीं और नरेश कुमार को दिल्ली के मुख्य सचिव के पद पर छह महीने का विस्तार मिल गया।

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