जब कंगाल अमिताभ बच्चन ने नहीं लिए धीरूभाई के पैसे, भरी महफिल में बोले थे अंबानी- ये गिर गया…
अमिताभ बच्चन ने 90 के दशक में बुरा वक्त देखा है। उनकी कंगाली की कहानी ज्यादातर लोग जानते हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने बताया है कि बुरे वक्त में धीरूभाई अंबानी ने कैसे अपने बेटे से उनके लिए मदद भिजवाई थी।
इतना ही नहीं जब अमिताभ बच्चन कर्ज से बाहर आए तो भरी महफिल में धीरूभाई ने कुछ ऐसा कहा जिसे बिग बी पैसों से ज्यादा कीमती मानते हैं। यह घटना बताते-बताते अमिताभ बच्चन भावुक हो गए। वहां मौजूद मुकेश अंबानी भी इमोशनल दिखे।
जब धीरूभाई को पता चली कर्ज की बात
इस क्लिप में अमिताभ बच्चन बोलते हैं, जीवन में एक बार ऐसा दौर आया जब मैं बैंकरप्ट हो गया, दिवालिया हो गया। मेरी बनाई हुई कंपनी घाटे में चली गई। करोड़ों का कर्जा चढ़ गया। मेरा व्यक्तिगत बैंक बैलेंस जीरो यानी शून्य हो गया। कमाई के सब जरिये बंद थे और सरकार की तरफ से घर पर कुर्की के छापे लग गए। ये बात धीरूभाई को पता चली। बिना किसी से पूछे या जाने उन्होंने अपने छोटे बेटे और मेरे मित्र अनिल से कहा, इसका बुरा वक्त है, इसे कुछ पैसे दे दो। अनिल ने मुझे आकर ये बताया।
बिग बी ने नहीं ली मदद
देवियों और सज्जनों जितना वो देना चाह रहे थे, उससे मेरी सारी दुविधा और परेशानी खत्म हो जाती। उनकी उदारता पर मैं भावुक हुआ। लेकिन मुझे लगा कि मैं उनकी उदारता को स्वीकार न कर पाऊंगा। ईश्वर की कृपा रही और कुछ संकट के दिनों के बाद समां बदला। काम मिलना शुरू हुआ। और धीरे-धीरे मैं अपने सारे कर्जे उतार पाया। एक शाम धीरूभाई के निवास स्थान पर एक दावत के अवसर पर मुझे भी आमंत्रित किया गया। ऊपर लॉन में एक तरफ धीरूभाई बड़े से मेज पर अपने कुछ मित्रों फाइनैंशियल और कारपोरेट वर्ल्ड के कुछ दिग्गजों के साथ बैठे बात कर रहे थे।
पैसों से भी कीमती धीरूभाई के शब्द
मुझ पर नजर पड़ी तो मुझे बुलाया। मुझसे कहा कि यहां आ मेरे पास बैठ। मुझे बड़ा अजीब लगा। मैंने क्षमा मांगी और कहा, मै यहां अपने मित्रों के साथ बैठा हूं। यहीं ठीक हूं। उन्होंने जिद की और बैठा लिया मुझे। फिर अपनी उस दिग्गजों की महफिल में उन्होंने कहा, यह लड़का गिर गया था। लेकिन अपने बल पर फिर खड़ा हो गया। मैं इसकी इज्जत करता हूं। उनका ये व्यवहार और उनके ये शब्द मेरे लिए उस धनराशि से बहुत ज्यादा मूल्यवान थे जितना कि वे मुझे मेरे संकट से बाहर आने के लिए देने के लिए तैयार थे। ये उनका व्यक्तित्व था।