Delhi Police राजधानी की क्राइम ब्रांच ने दिल्ली से नेपाल तक चोरी के मोबाइल फोन की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के पास से 124 डिवाइस और 19 लाख रुपये बरामद किए। गिरोह ने स्नैचरों और चोरों से फोन खरीदे उन्हें अनलॉक किया और उनकी ईएमआई नम्बर तक बदल दिया। इस गिरोह का सरगना करोल बाग के देव नगर निवासी 37 वर्षीय अली हुसैन था जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस अभी जांच कर रही है। मामला देश से बाहर तक के अपराध का है और आशंका है कि चोरी किए गए फोनों से देश विरोधी गतिविधयों को अंजाम दिया जा सकता है इसलिए मामला एनआईए को भी सौंपा जा सकता है।
ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि नेपाल में आईएसआई के गुर्गे सक्रिए हैं वो भारतीय फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिल्हाल, विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने खुलासा किया कि फोन चोरी की जांच के दौरान, पुलिसकर्मियों को पता चला कि गिरोह का एक सदस्य चोरी के उपकरणों को अपनी कार में उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा के पार नेपाल ले जाता है।
स्पेशल सीपी यादव ने बताया, “इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए, हमें पता चला कि चोरी किए गए फोन करोल बाग से एकत्र किए जा रहे थे।”
पुलिस ने हुसैन पर ध्यान केंद्रित किया और उसे निगरानी में रखा। उन्होंने पाया कि उसने फोन अपने स्थायी घर में छुपाए थे जबकि वह खुद किराये के मकान में रहता था। विशेष सीपी ने कहा, “इस जानकारी के आधार पर, हमने करोल बाग में आठ चोरी के मोबाइल फोन के साथ हुसैन को पकड़ा।” पूछताछ के दौरान हुसैन ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उसने देव नगर के एक घर में 120-130 मोबाइल फोन और 19 लाख रुपये छिपाए हैं. पुलिस उस स्थान से 116 फोन और नकदी बरामद करने में सफल रही।
हुसैन ने पुलिस को बताया कि उसका भाई इरफान चोरी के मोबाइल फोन की खरीद-फरोख्त में शामिल था। अपने भाई की मृत्यु के बाद, हुसैन स्वयं अवैध कारोबार में शामिल होने लगा। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “पिछले तीन सालों से, वह दिल्ली-एनसीआर से चोरी के फोन खऱीदता था और फिर उन्हें नेपाल में ऊंची कीमतों पर बेच रहा था।”
हुसैन खुद एक कारीगर है इसलिए फोन को अनलॉक करने का काम वो अपनी दुकान में करता था। हुसैन ने चोरी किए हुए फोनों को अनलॉक करने के बाद उनके कवर और स्क्रीन प्रोटेक्टर बदल दिए, और उन्हें नेपाली खरीदारों के लिए नया बता कर बेाच दिय।
पुलिस ने खुलासा किया कि गिरोह ने कई बंडल तैयार किए और प्रत्येक में 40 फोन एक बैग में पैक किए। फिर इन बैगों को भैरव मंदिर, करमपुरा या कनॉट प्लेस से शुरू होने वाली दिल्ली-नेपाल मार्ग पर चलने वाली पर्यटक बसों के ड्राइवरों या क्लीनरों को सौंप दिया गया। गिरोह ने नेपाल में अपने साथियों को फोन ले जाने वाली बस के बारे में खुफिया तौर पर जानकारी भेजी। हुसैन इस तरीके से 400 से अधिक फोनों को नेपाल पंहुचा चुका था।
गिरफ्तार तस्कर ने आगे खुलासा किया कि कभी-कभी, नेपाल से उसके आदमी सीधे हुसैन की दुकान से फोन लेने के लिए खुद करोल बाग जाते थे। हालाँकि, अधिकांश अवसरों पर, नेपालियों ने एक प्रतिनिधि भेजा। आरोपियों ने चोरी के ये फोन दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों से हासिल किए थे। पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम गिरोह के बाकी सदस्यों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रहे हैं।” उन्होंने बताया कि उन्होंने स्नैचिंग और चोरी के 72 मामलों को एक साथ सुलझा लिया है। अभी इस बात की जांच की जा रही है कि क्या दिल्ली-एनसीआर से चोरी और छीन कर नेपाल ले जाए जा रहे फोनों को पाकिस्तान तो नहीं पहुंचाया जा रहा है। ऐसी भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि आईएसआई इन फोन के सिम कार्डों का उपयोग कर रही है। हनीट्रैप के मामलों में आईएसआई इन्हीं चोरी के मोबाइल फोन और सिम कार्डों यानी फोन नम्बरों का इस्तेमाल कर सकती है.
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