शुक्रवार को सरकार लोक सभा में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार के तीन विधेयक पेश कर तीनों विधेयकों को संसद की स्थाई समिति को भेजने का प्रस्ताव किया जिसे सदन ने पारित कर दिया। ये तीनों कानून देश में ब्रिटिश काल से लागू हैं। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयकों को पेश करते समय कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं। उन्होंने कहा, जिन कानूनों को निरस्त किया जा रहा है,वो उस काल के कानून हैं जब उन्हें ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करने के लिए और उसे मजबूती देने के लिए बनाया गया था। उन कानूनों में दंड देने का विचार था, न्याय देना नहीं।
अमित शाह ने कहा कि अब तीनों नए कानून भारतीय नागरिक अधिकारों की रक्षा करेंगे। सरकार दाऊद इब्राहिम, नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे भगोड़ों पर सरकार शिकंजा कस पाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि दाऊद इब्राहिम कई केसेज में वॉन्टेड है। वो देश छोड़कर भाग गया है। आज उस पर ट्रायल नहीं होता है। सरकार ने तय किया है कि सेशन कोर्ट तय प्रक्रिया के तहत जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे उसकी अनुपस्थिति में भी ट्रायल होगा और दुनिया में वह कभी भी छिपा हो, सजा सुनाई जाएगी। इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ने वाला है। उसे सजा के खिलाफ अपील करनी है तो अपने आप को भारतीय कानूनों की शरण में आना होगा। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक पेश करते हुए तीनों विधेयकों को संसद की स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा ताकि इन पर उचित तरीके से विचार-विमर्श हो। यह प्रस्ताव सदन ने पारित कर दिया।
अमित शाह ने कहा, प्रधानमंत्री ने गत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के सामने 5 प्रण रखे थे। उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। आज हम जो 3 विधेयक लेकर आए हैं, वो तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण को पूरा कर रहे हैं। इन विधेयकों को संसद समति के पास भेजे जाने के बाद लोगों के मन में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या मॉब लिंचिंग और नाबालिग से रेप पर मौत की सजा का प्रावधान होगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं। इसी उद्देश्य से तीन विधेयक पेश किए जा रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी। 133 नई धारा शामिल की गई हैं। जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है। लोक सभा में पेश बिल के मुताबिक, नए कानूनों के माध्यम से कुल 313 परिवर्तन किए गए हैं। सरकार द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली में पूर्ण बदलाव किया गया है। जिन धाराओं में 7 साल से ज्यादा की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी। नए कानूनों के मुताबिक राजद्रोह की सजा बदली गई है। नए बिल में राजद्रोह का नाम हटा दिया गया है। कुछ बदलावों के साथ धारा 150 के तहत प्रावधान बरकरार रखे गए हैं। प्रस्तावित धारा 150 में राजद्रोह के लिए तीन साल से आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
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