Crime News: मध्य प्रदेश में भू माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद है कि निराश्रित पशुओं के लिए छोड़े जाने वाली चरनोई भूमि को भी नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर से सामने आया है।जहां करोड़ों की शासकीय जमीन हथियाने वाले भू माफियओं ने फर्जी डिक्री बनाकर केदारपुर के सर्वे क्रमांक 482 की जमीन को अपने नाम कर लिया है और जमीन पर प्लाटिंग भी शुरू कर दी है लेकिन इन भू माफियाओं के आगे प्रशासनिक अधिकारी बौने बने हुए हैं।
ग्वालियर शहर की शासकीय जमीनों पर भू माफियाओं ने गिद्ध की तरह नजर गड़ा रखी है। शहर के झांसी रोड अनुभाग केदारपुर के सर्वे क्रमांक 482 की 10 बीघा करोडों रुपए कीमत की भूमि पर 17 वर्ष पूर्व न्यायालय की फर्जी डिक्री के आधार पर नामांकन कराने वाले भू माफिया के नाम तत्कालीन तहसीलदार रूपेश उपाध्याय द्वारा निरस्त करा दिए थे और जांच के बाद उन सभी के नाम खसरे से हटाकर एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन जैसे ही मामला ठण्डा पड़ा तो लगभग 100 करोड़ रुपए कीमत की वही जमीन धोखाधड़ी करने वाले उन्हीं में से एक शख्स मनीष वर्मा के नाम न सिर्फ नामांकन के बाद खसरों में दर्ज हो गई बल्कि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर नगर एवं ग्राम निवेश (TNCP) ओर नगर निगम से कॉलोनी की अनुमति लेकर भूखण्ड (प्लाट) बेचने का काम किया जा रहा है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आज की तारीख में खसरे में मनीष वर्मा का नाम कैसे चढ्ढ़ा हुआ है ?
वहीं प्रशासनिक अधिकारी अभी भी इस मामले को समझने में लगे है एसडीएम विनोद सिंह ने शासकीय अभिभाषक घनश्याम मंगल को पत्र लिखकर आरोपी मनीश वर्मा का नाम वर्तमान राजस्व अभिलेख में इंदाज चले आने को लेकर अभिमत मांगा है।
गौरतलब है कि प्रकरण ए/87 जरदान सिंह विरुद्ध मप्र शासन में डिक्री को अवैध मानते हुए कार्रवाई को लेकर अभिमत चाहा है। चूंकि जिला न्यायालय पूर्व में ही कार्रवाई के आदेश दे चुका है तो अब शासकीय अभिभाषक से कानूनी अभिमत मांगने का कोई कारण नहीं बनता। 11 फरवरी 1992 को जो न्यायालय अस्तित्व में ही नहीं था उसका फर्जी आदेश तैयार कर सावित्री देवी, उम्मेद सिंह, भारत सिंह, निहाल सिंह, वृंदावन के नाम सर्वे क्रमांक 482 की 2.195 हेक्टेयर रकवा 10 बिस्वा जमीन शासकीय चरनोई से हटाकर उक्त व्यक्तियों के नाम चढ़ा दी गई थी।
चार आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई जबकि धोखाधड़ी में मनीष वर्मा भी थे, उनका नाम जानबूझकर नहीं लिखाया। वर्मा ने मामला ठण्डा पड़ने के बाद अधिकारियों से मिलकर अपना नामांकन कराकर खसरे में नाम चढ़वा लिया।ओर बाकायदा नगर निगम में आवेदन देकर 27 अगस्त को 2022 को कॉलोनी का नक्शा पास कराकर वहां चार से पांच हजार रुपए वर्गफीट में भूखण्ड बेचना शुरू कर दिए हैं।
वहीं इस मामले में जिला कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह का कहना है कि मामला मेरी जानकारी में नहीं है मीडिया के माध्यम से अभी जानकारी लगी है सारे तथ्यों की जानकारी मंगवाई जा रही है जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ करवाई की जाएगी।
बहरहाल करोड़ों रुपए की शासकीय जमीन को खुर्द -बुर्द करने का चर्चित मामला
सभी अधिकारियों की जानकारी में है। उन्हें पता है कि आरोपी द्वारा शुरू से ही उस जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है लेकिन यदि उसका नाम खसरे में भी आ गया है तो उसे विलोपित करने और मौके पर जाकर कब्जा लेने की कार्रवाई स्वयं एसडीएम द्वारा की जा सकती है। बल्कि अधिकारी आरोपी का पुनः नामांकन कब और कैसे हुआ बताने को तैयार नहीं ओर करोड़ों की शासकीय जमीन हथियाने वाले भू माफिया के आगे बौने बने हुए हैं।
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