‘Article 370’ यामी गौतम अभिनीत एक बेहतरीन फिल्म, लेकिन क्यों- पढ़ें नीर-क्षीर समीक्षा

यामी गौतम-स्टारर ‘Article 370 फिल्म’, बहुत दिन बाद ऐसी फिल्म आई है जो एक्ट्रेस ओरिएंटेड यानी अभिनेत्री प्रधान सफल फिल्म है। गुरुवार २२ फरवरी को इसका मीडिया प्रीमियर किया गया। वास्तव में फिल्म की स्टोरी, एक्शन, थ्रिल, ड्रामा, इमोशन और डायरेक्शन ऑडिएंस को शुरु से लेकर आखिर सभी डिपार्टमेंट दर्शकों को बांधे रखते है। हालांकि, फिल्म के ट्रेलर से पहले ही प्रशंसकों के बीच भारी चर्चा पैदा कर ही चुकी है। पीएम मोदी ने फिल्म के बारे में कहा जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने सुना है कि आर्टिकल 370 आने वाली है,  जम्मू के लोगों की जय जय कार पूरे देश में सुनाई देने वाली है।

पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि कि फिल्म में विवादास्पद कानून को निरस्त करने के फैसले पर जनता को सटीक जानकारी प्रदान करने की क्षमता है।

यामी गौतम स्टारर आर्टिकल 370 में प्रियामणि और अरुण गोविल भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यामी को एक बुद्धिमान अधिकारी की भूमिका निभाते हुए देखा जा सकता है, और फिल्म अनुच्छेद 370 को निरस्त करने या अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा हटाने के इर्द-गिर्द घूमती है।

क्या है फिल्म की कहानी?

फिल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता आदित्य सुहास जंभाले ने किया है और यह 2016 की अशांति की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह फिल्म एक स्थानीय एजेंट ज़ूनी हक्सर पर आधारित है, जो एक गुप्त मिशन में शामिल होती है।

यह फिल्म अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर के भ्रष्टाचार और आतंकवाद की कहानी बयान करती है। यामी गौतम ने अपने किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया है। उनके साथ  फिल्म का निर्देशन आदित्य जंभाले ने किया है और इसका निर्माण आदित्य धर, लोकेश धर और ज्योति देशपांडे ने किया है।

पीएम मोदी की भूमिका में अरुण गोविल और अमित शाह की भूमिका में किरण करमाकर, पीएमओ की भूमिका में प्रियामनी के अलावा वैभव ततवावडी की भूमिका भी सराहनीय है।

‘आर्टिकल 370’  लगभग सभी असल किरदारों को पर्दे पर निरूपित करने और कहानी और किरदारों को फिल्म के तौर पर सिलवर स्क्रीन पर उतारने, ड्रामेटाइज करने की सफल कोशिश की है लेकिन सबसे अहम किरदार और उससे जुड़ी कहानी को फिल्म से गायब ही कर दिया है। फिल्म देखने के बाद दर्शक यह पूछते नजर आए कि आखिर, इस अहम किरदार को राइटर, डाइरेक्टर और प्रोड्यूसर ने इग्नोर क्यों किया? आप जानते ही होंगे कि यह अहम किरदार कोई और नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का ही हो सकता है। यह सवाल कौंधता है कि यह किरदार क्यों नहीं था? क्यों कि इस किरदार के बिना तो कहानी बन ही नहीं सकती थी… फिर भी बड़ी खूबसूरती से डाइरेक्टर दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि महाराष्ट्र समेत बीजेपी/एनडीए नीत सरकार  वाले राज्य फिल्म को टैक्स फ्री कर सकती है।

फिल्म में तथ्य हैं, सीख है, शिक्षा है और नॉलेज भी है। फिल्म उन लोगों की आँखें खोलने के लिए काफी है जो आज भी कश्मीर से 370 हटाने के कदम को संवैधानिक तौर पर सही नहीं मानते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट भी 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम को सही ठहरा चुकी है। फिल्म में कुछ-एक घटनाओं को शायद थ्रिल पैदा करने  के लिए जोड़ा है। अजय देवगन की आवाज के साथ फिल्म की शुरुआत धमाकेदार स्टाइल में होती है और संसद में जम्मू-कश्मीर रिऑरगेनेइजेशन बिल के पास होने के ऐतिहासिक क्षण के साथ समाप्त होती है मगर डाइरेक्टर यह भूल गए कि राज्य सभा कि कालीन ही नहीं कुर्सियों के कुशन का रंग भी लाल होता है। कुछ बारीक कमियों को छोड़ दिया जाए तो फिल्म अच्छी है, बहुत अच्छी है, यामी गौतम ने अपने अभिनय को ईमानदारी से निभाया है। हमारी नजर में फिल्म के सभी डिपार्टमेंट को मिला कर 10 में से 9 नम्बर दिए जा सकते हैं।

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