Banke Bihari Mandir Corridor: बनारस के काशी विश्वनाथ और उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर भगवान कृष्ण की जन्मभूमि में बांके बिहारी मंदिर (Mathura-Vrindavan ) कॉरिडोर बनाया जाएगा।
इस कॉरिडोर को बनाए जाने की राह में दो बड़ी बाधाएं थीं, पहली यह कि बाँके बिहारी मंदिर के पण्डे-पुजारी और दूसरी बड़ी बाधा कॉरिडोर के रास्ते के अतिक्रमण जिनको हटाया जाना मुश्किल समझा जा रहा था। मंदिर के पण्डे-पुजारियों ने साफ कह दिया कि वो कॉरिडोर बनाने के लिए मंदिर के बैंक खातो में जमा दान के पैसों में से एक इकन्नी भी नहीं दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पहली बाधा को तो चुटकियों में दूर कर दिया। योगी सरकार गत सितंबर महीने में ही ऐलान कर दिया था कि कॉरिडोर के निर्माण में जितना भी पैसा खर्च होगा वो सब यूपी सरकार करेगी। दूसरी बाधा कॉरिडोर के रास्ते में आने वाले अतिक्रमण को हटाना था। यह काम इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरा कर दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृंदावन कॉरिडोर (Mathura-Vrindavan ) के रास्ते में आने वाले सभी अतिक्रमणों को हटाने की मंजूरी दे दी है। याची अनंत शर्मा और मधुमंगल दास एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने सोमवार को कहा कि अदालत बाकेबिहारी कॉरिडोर बनाने की इजाजत तो देती है लेकिन इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए मंदिर के पैसे का उपयोग नहीं होगा। अदालत की दूसरी शर्त यह है कि कॉरिडोर बनाके दौरान बांकेबिहारी के दर्शन में किसी तरह की कोई बाधा न आए। अदालत की तीसरी शर्त यह है कि सरकार बांके बिहारी कॉरिडोर की सरकार प्रस्तावित योजना पर ही आगे बढ़ेगी। कोई नया प्रस्ताव नहीं आएगा।
अदालत के सामने राज्य सरकार के वकील ने अदालत की सभी शर्तें स्वीकार करने के आश्वासन दिया।
दरअसल, 7 नवंबर 2022 को ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में जन्माष्टमी पर मंगला आरती के समय भीड़ के दबाव के कारण दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि सात घायल श्रद्धालु घायल हो गए थे। उस समय आरोप लगा मंदिर के पंडे-पुजारियों पर नहीं बल्कि शासन-प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था।
7 नवंबर 2022 की सुबह 8:45 पर दर्शन खुलने से पूर्व ही मंदिर के अंदर और बाहर भक्तों की भीड़ अपने आराध्य के दर्शन करने की अभिलाषा के साथ पहुंच चुकी थी। भीड़ के दबाव को देखकर मंदिर के सुरक्षागार्ड और पुलिस कर्मियों के हाथ पैर फूल गए। भला हो कि कोई बड़ी घटना नहीं हुई। कुछ दर्शनार्थी बेहोश होकर गिर पड़े थे। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाकर जान बचाई गई थी। इसके बाद अगस्त 2023 में मंदिर के पीछे एक पुरानी दीवार ढह जाने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
बाँके बिहारी मंदिर में हो रही लगातार दुर्घटनाओं पर योगी सरकार ने संज्ञान लिया और अदालत में बांकेबिहारी कॉरिडोर बनाने का हलफनामा दाखिल कर दिया।
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का लोकार्पण करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी23 नवंबर को मथुरा-बृंदावन आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के आगमन से पहले सारी तैयारियों का जायजा लेने के लिए चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ दो दिन पहले मथुरा में ही थे।
मथुरा-वृंदावनवासियों का कहना है कि जिस तरह राम जन्मभूमि आक्रांताओं के कब्जे 500 साल बाद मुक्त हुई है ठीक वैसे ही अब श्रीकृष्णजन्मभूमि की मुक्ति का समय निकट आ गया है। बांके बिहारी कॉरिडोर से इसकी शुरुआत होगी।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए विधिक अड़चनों को हटाने का बीड़ा स्थानीय दिग्गजों के साथ-साथ हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन ने उठा रखा है। उनकी याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी मुकदमों को अपने पास मंगवा लिया है। हालांकि मुसलमानों की ओर से मामले को घसीट कर सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है… फिल्हाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
बांकेबिहारी कॉरिडोर से मुसलमानों का कोई सीधा लेना-देना नहीं है। इसलिए कॉरिडोर बनाने में कोई बड़ी बाधा अब आने की आशंका नहीं है। हां, इतना जरूर यह है कि कॉरिडोर बनजाने के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति अभियान को बल जरूर मिलेगा।
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