CAA Notification: देश में CAA लागू होने से क्या होगा बदलाव, किन्हें मिलेगी नागरिकता?
CAA Notification: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार दूसरे देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत नागरिक बनाने के मकसद से 2019 में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (नागरिकता संशोधन विधेयक) लेकर आई थी।
दिसंबर 2019 में देश की संसद ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA को ध्वनिमत से पारित किया था। देश के राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद ये विधेयक कानून को रूप भी ले चुका है, मगर सीएए को लागू करने में ही 4 साल से अधिक की देरी हो चुकी है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना जारी होने के साथ ही सीएए कानून को अमल में लाया जा सकता है, जिससे पात्र व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) की तरफ से लोकसभा चुनावों से ठीक पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 नियमों की घोषणा करने की उम्मीद है।
क्या है CAA?
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 का उद्देश्य नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करना है। CAA में विदेशियों के लिए नागरिकता का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 लागू होता है तो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में आकर बसने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो 31 दिसंबर 2014 से पहले आए होंगे और धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में आए हैं, जो कम-से-कम 6 साल से भारत में रह रहे होंगे।
कैसे मिलेगी नागरिकता?
नागरिकता की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए सरकार ने पोर्टल तैयार कर लिया है। आवेदकों को भारत में आने का साल बताना होगा, उन्हें इसके लिए कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। किस देश के नागरिक हैं इसके लिए भी प्रूफ नहीं चाहिए, मतलब उनके पास पासपोर्ट या वीजा होना जरूरी नहीं है। ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और जांच के बाद नागरिकता दी जाएगी। एक अधिकारी ने पिछले दिनों एएनआई से बात में बताया, ‘नियम तैयार किए गए हैं और पूरी प्रक्रिया के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल पहले से ही स्थापित किया गया है, जिसे डिजिटल रूप से संचालित किया जाएगा। आवेदकों को बिना किसी यात्रा दस्तावेज के भारत में अपने प्रवेश के साल का खुलासा करना होगा। किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी।’
CAA से घबराने की जरूरत नहीं
2019 में जब केंद्र सरकार इस कानून को लेकर आई थी, तो लंबे समय तक उसका विरोध हुआ था। कुछ लोगों CAA को गैर-सांविधानिक बताया, क्योंकि इसमें धर्म आधारित नागरिकता का जिक्र है। कुछ लोगों ने ये भी भ्रम फैलाया कि इससे मुस्लिमों को खतरा है। हालांकि सरकार की तरफ से साफ कहा जा चुका है कि इस नए कानून में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है, बल्कि सिर्फ विदेशी अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। मतलब ये कि CAA से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी, बल्कि विदेश से आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की सदस्यता दी जाएगी।
4 साल से CAA के कार्यान्वयन में देरी
सीएए के विरोध के चलते ही पिछले 4 साल से इसका कार्यान्वयन नहीं हो पाया। हालांकि संसदीय प्रक्रियाओं के मैनुअल के अनुसार, किसी भी कानून के लिए दिशानिर्देश राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के 6 महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए थे या सरकार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग करनी चाहिए थी। एएनआई की रिपोर्ट कहती है कि 2020 से गृह मंत्रालय नियमित रूप से कानून से जुड़े नियमों को तैयार करने की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए संसदीय समितियों से विस्तार की मांग कर रहा था।
पिछले 2 सालों के दौरान कई राज्यों में जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की क्षमता के साथ अधिकृत किया गया है। गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के 1414 व्यक्तियों को पंजीकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।