आईपीसी और सीआरपीसी की जगह लोक सभी में पेश नए कानूनों का मसौदा बहुमत से पारित हो गया। संशोधित कानून मसौदा पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब कानून पनिशमेंट सेंट्रिक न हो कर विक्टिम सेंट्रिक होगा। कानून के नए मसौदे में महिला-बच्चों और शारीरिक अपराध को क्रमशः रखा गया है। राजद्रोह की धारा को खत्म कर देश द्रोह कानून लाया गया है।
अब कोई भी पीड़ित किसी भी थाने में जाकर अपनी एफआईआर दर्ज करवा सकता है। मतलब यह कि दबंग और रसूखदार लोग अपराध की एफआईआर को दर्ज होने से नहीं रोक सकते। इसके अलावा नए मसौदे में ईएफआईआर की व्यवस्था की गई है। खास तौर पर ईएफआईआर का बलात्कार और शोषण की शिकार महिलाओं को मिलेगा। इसके अलावा नए कानूनों में आतंकवाद के खिलाफ कानून को सख्त किया गया है। पुलिस और कानून व्यवस्था को डिजिटलाईज किए जाने के प्रावधान किए जा रहे हैं।
नए मसौदे में अब तलाशी, जब्ती और बयानों की वीडियो रिकॉर्डिं अपरिहार्य कर दिया गया है। पुलिस को इन्वेस्टिगेशन समय के भीतर करना होगा। समय पर चार्जशीट देनी ही होगी, अगर पुलिस को कुछ अन्य सबूत मिलते हैं तो कोर्ट की मंजूरी से पूरक चार्जशीट के लिए अतिरिक्त समय मांग सकते हैं लेकिन यह अवधि 180 से अधिक नहीं हो सकता। इसके अलावा अब किसी भी तरह का अपराध करके विदेश भाग जाने वालों की गैर मौजूदगी में भी ट्रायल चलेगा और सजा भी सुनाई जाएगी। उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी।
आतंकवादियों के खिलाफ किसी तरह का रहम नहीं बरता जाएगा। इसी साथ अब दया याचिका का अधिकार केवल उसी को होगा जिसको सजा मिली है। सजा याफ्ता अपराधी के नाम पर एनजीओ, कोई संस्था या अन्य व्यक्ति दया याचिका नहीं लगा सकेगा। इसी के साथ अगर अगर अपराधियों को अपने कुकृत्य पश्चाताप होता है तो मृत्यु दण्ड को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। आजीवन कारावास को कम से कम 7 साल की सजा भुगतनी ही होगी।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि नए आपराधिक कानून विधेयक संविधान की भावना के अनुरूप हैं और देश के लोगों की भलाई को ध्यान में रखते हुए लाए गए हैं।
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023 पर लोकसभा में बहस का उत्तर देते हुए; भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) विधेयक, 2023 पर अमित शाह ने कहा कि नए कानून ब्रिटिश काल के कानूनों की जगह लेंगे।
“मोदीजी के नेतृत्व में, मैं ऐसे बिल लाया हूं जो भारतीयता, भारतीय संविधान और लोगों की भलाई पर जोर देते हैं। संविधान की भावना के अनुरूप कानून बदले जा रहे हैं।”
अमित शाह ने कहा कि विधेयक लोगों को न्याय देने में प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि विधेयकों में “मॉब-लिंचिंग” को अपराध के रूप में शामिल किया गया है।
मंत्री ने कहा कि ब्रिटिश काल के कानूनों का उद्देश्य विदेशी शासन की रक्षा करना था और नए विधेयक जन-केंद्रित हैं।
लोकसभा ने मंगलवार को 1860 के भारतीय दंड संहिता, 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयकों पर चर्चा की थी।
अमित शाह ने पिछले हफ्ते लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक कानून विधेयक पेश किए जो आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में पेश किए गए तीन बिलों को गृह मंत्री ने वापस ले लिया.
उन्होंने कहा कि बिल वापस ले लिए गए हैं और तीन नए बिल पेश किए गए हैं, क्योंकि कुछ बदलाव किए जाने थे। उन्होंने कहा कि विधेयकों की स्थायी समिति द्वारा जांच की गई थी और आधिकारिक संशोधनों के साथ आने के बजाय, विधेयकों को फिर से लाने का निर्णय लिया गया।
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023, और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 का उद्देश्य क्रमशः आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करना है।
पहले के बिल 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किए गए थे और उन्हें स्थायी समिति को भेजा गया था।
बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि विधेयकों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है।
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