Congress के वादों के साथ जाएंगे राजस्थान के मतदाता या फिर पीएम मोदी की गारंटी के साथ
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत का कहना है कि Congress राजस्थान में जाति जनगणना नहीं करा सकती, जानिए क्यों?
जहां एक ओर Congress पार्टी ने जातीय जनगणना के बाद अल्पसंख्यकों को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने का भी वादा किया है तो वहीं
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी।
शेखावत ने दावा किया कि राज्य में जनगणना नहीं की जा सकती क्योंकि यह कार्य राज्य सरकार के दायरे में नहीं है। उन्होंने अशोक गहलोत सरकार पर “देश को विभाजित करने” का भी आरोप लगाया।
भारत में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह ने दावा किया कि “Congress जाति जनगणना कभी नहीं कर सकते क्योंकि यह राज्य सरकार के दायरे में नहीं है। संविधान के अनुसार, केंद्र का विषय है और केवल केंद्र सरकार ही जनगणना करवा सकती है।अशोक गहलोत और उनकी पार्टी ने हमेशा देश को विभाजित किया है और वे एक बार फिर ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं…।”
इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस ने अपने राजस्थान चुनाव घोषणापत्र में राज्य में सत्ता में लौटने पर जाति जनगणना का वादा किया। कांग्रेस पार्टी ने घोषणापत्र में कहा, ”समाज के सभी वर्गों के लिए समान सामाजिक कल्याण की भावना पर आधारित नीतियां बनाने के लिए हम जाति आधारित जनगणना कराएंगे।”
घोषणापत्र को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा, घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने जयपुर में पार्टी कार्यालय में जारी किया।
पार्टी ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थियों के लिए राशि को सालाना ₹25 लाख से दोगुना करके ₹50 लाख करने का भी वादा किया।
राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।
इससे पहले 2013 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने 163 सीटें जीतीं और वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने 200 सदस्यीय सदन में मात्र 73 सीटें जीतीं। बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से अशोक गहलोत ने सीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि, अशोक गहलोत की राह कांटों भरी रही। अशोक गहलोत की सरकार को गिराने की कई कोशिशें की गईं। कभी सचिन पायलट को कभी बीजेपी अशोक गहलोत की राह में कांटे बिछाते रहे। यह अशोक गहलोत का चातुर्य ही रहा कि वो जैसे-तैसे सरकार को पांच साल की समय सीमा तक खींच लाए।
हालांकि, इस दौरान राजस्थान आतंक, अल्पसंख्यक संतुष्टिकरण और अराजकता से भरा रहा। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेताओं ने भले ही एक दिखने की कोशिश की लेकन दिलों के बीच खिंची रेखाएँ नहीं मिट पाईं।
खड़गे-राहुल और प्रियंका वाड्रा ने पीएम मोदी और बीजेपी का मजाक बनाकर भीड़ को जुटाने, सस्ती गैस, सस्ती बिजली और सस्ता पानी देने का वादा करके तालियां बटोरने में कामयाब रहीं हैं लेकिन भीड़ और तालियां वोट में कितनी परिवर्तित होंगी ये तीन दिसंबर की मतगणना से जाहिर हो जाएगा।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में खुली जीप में सवार होकर रोड शो किया। उनका रोड शो शहर की तीन विधानसभा सीटों के बीच से गुजरा। ये तीनों सीटें मुस्लिम बहुल्य सीटें है। इन तीनों सीटों पर Congress का कब्जा है। पीएम मोदी के रोड शो के बाद बीजेपी को यही उम्मीद है कि बीजेपी तीनों सीटों पर कब्जा पक्का करने की कोशिश करेगी। पीएम मोदी की इस रैली का असर आस-पास ही नहीं पूरे राजस्थान पर पड़ने वाला है। कांग्रेस की तमाम कोशिशें अभी से धूलधूसरित होती नजर आ रही हैं। क्यों पीएम मोदी ने राजस्थान के लोगों के साथ वादे नहीं बल्कि बीजेपी वादे पूरे करने की गारंटी दी है।