Delhi Air Pollution: सियासी गहमागहमी से भरी भारत की राजधानी दिल्ली,वायु प्रदूषण की भयावह समस्या से लगातार जूझती रही है।
जिससे नए-नए स्वास्थ्य खतरे पैदा रहे हैं । वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) से उजागर वायु प्रदूषण के स्तर में हालिया वृद्धि एक बार फिर खतरे की घंटी बजा रही है। अस्थाई मौसम स्थितियों के कारण छिटपुट सुधारों और राहत के बावजूद, प्रदूषण के स्तर में बार-बार होने वाली वृद्धि शहर और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। पर्यावरण विदों का कहना है कि दिल्ली सरकार रिहायशी इलाकों में चल रह अवैध कारखानों पर ही रोक लगा दे तो प्रदूषण से राहत मिल सकती है।
दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) की हालिया रीडिंग हवा की बिगड़ती गुणवत्ता की चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। शहर का AQI, सोमवार को सुबह 8 बजे 338 पर था, जो पिछले दिन के शाम 4 बजे 301 और रविवार को सुबह 7 बजे 290 से चिंताजनक गिरावट दर्शाता है।
पिछले सप्ताह का रुझान अस्थिर रहा है, अलग-अलग दिनों में AQI का स्तर 319, 405 और 419 पर रहा, जो प्रदूषण के स्तर में वृद्धि भविष्य के लिए चेतावनी दे रहाहै। गाजियाबाद, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, नोएडा और फ़रीदाबाद जैसे पड़ोसी क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट हो रही है। इसका कारण अवैध कारखाने हैं जिनमें पर्यावरण नियमों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन हो रहा है। हवा के रुख के साथ इन इलाकों का प्रदूषण भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पहुंच रहा है।
दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण संकट के अन्य कारणों के अलावा वाहनों से निकलने वाला धुआं, असुरक्षित औद्योगिक गतिविधियाँ,अवैध निर्माण, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना और ठण्ड के साथ हवा की गति स्थिर हो जाता है।
ग्रैप नियमों के तहत निर्माण कार्य और दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े प्रतिबंध हटाने के अधिकारियों के हालिया फैसले से प्रदूषण के स्तर में क्षणिक कमी दिखाई देती है लेकिन स्थाई समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है।
दिल्ली में पीएम2.5 और पीएम10, किसी भी इंसान के फेफड़ों में आसानी से भीतर तक पहुंच जातेहैं , जिससे सांस और फेफड़ों की बीमारियाँ, गंभीर अस्थमा, हृदय संबंधी रोग और अन्य स्वास्थ्य जटिलताएँ पैदा हो रही हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं वाले रोगियों पर दिल्ली का प्रदूषण का कहर बनकर टूट रहा है।
दिल्ली की आब-ओ-हवा को दुरुस्त करने के लिए केवल दिल्ली के प्रदूषण को खत्म करने से काम नहीं बनने वाला है। इसके लिए दिल्ली के पड़ौसी राज्यों को भी उतनी ही सख्ती से प्रदूषण पर रोक लगाना होगा। चोरी-छिप चल रहे हजारों छोटे-बड़े कारखानों की पहचान कर सख्ती से नियमों का पालन करवाना होगा।
औद्योगिक व आधारभूत ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) ने 2023 के शुरुआत में अकेले दिल्ली में 25 हजार से ज्यादा अवैध कारखानों की दिल्ली सरकार को सौंपी थी। यदि इन कारखानों से होने वाले वायु और तरल उत्सर्जन को रोक दिया जाए तो भी दिल्ली का वायु प्रदूषण कम हो सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह यह कि 10 हजार से ज्यादा अवैध कारखाने रिहायशी इलाकों में संचालित हो रहे हैं।
दिल्ली और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर इस लगातार खतरे से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारी अधिकारियों, पर्यावरण एजेंसियों, उद्योगों और नागरिकों को समान रूप से शामिल करके सहयोगात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है।
व्यावहारिक नीतियों और कड़े कार्यान्वयन के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। केवल सामूहिक संकल्प और निरंतर पहल के माध्यम से ही दिल्ली स्वच्छ हवा में सांस लेने और स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर हो सकता है।
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