EXCLUSIVE: PFI पर ED की दूसरी चार्जशीट में सनसनीखेज खुलासे, 2047 तक भारत का इस्लामीकरण मकसद

EXCLUSIVE: ईडी ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के मुकदमे में एक और चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में बहुत सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं। पीएफआई संगठित खुफिया तरीकों से भारत को विभाजित करने और इस्लामिक कानून लागू करने की साजिश रच रहा था।

पीएफआई के गुर्गों के कोड नेम, सुरक्षाबलों और नामचीन हस्तियों पर प्राणघातक हमलों की ट्रेनिंग और विदेशों तक फैले नेटवर्क का खुलासा इस चार्जशीट में किया गया है। 2

047 तक भारत का इस्लामीकरण करने का लक्ष्य हासिल करना पीएफआई का मकसद था। पीएफआई ने ऐसे खुफिया कोड तैयार किए थे जिनको देखकर या सुनकर उसके खतरनाक मंसूबों पर शक भी नहीं हो सकता था।

हमलावरों का कोडनेम ‘रिपोर्टर’, निशाना बीजेपी और आरएसस

ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा कि जांच से पता चला है कि पीएफआई ने भाजपा, आरएसएस के लोगों पर हमला करने वाले अपने कैडर को “रिपोर्टर” कोडनेम दिया था। पीएफआई संगीन अपराधिक कृत्यों के जरिए पैसा कमाता था और इस पैसे का इस्तेमाल घात लगाकर ऐसे हमलों की ऐसी ट्रेनिंग देने के लिए किया जा रहा था जिससे किसी की भी हत्या की जा सकती है।

जूडो कराटे की तरह पीएफआई में अपने कैडर के लिए व्हाइट वेल्ट, यलो बेल्ट, ऑरेंज बेल्ट और आखिर में ग्रीन बेल्ट ट्रैनिंग दी जाती थी। इस ट्रेनिंग को हासिल करने वाले हथियार ही नहीं बल्कि हाथ पैरों का इस्तेमाल करके अपने शिकार का पलक झपकते ही काम-तमाम कर सकते थे। पीएफआई के ‘रिपोर्टरों’का काम धार्मिक तनाव के अलावा बीजेपी और संघ विरोधी खबरों का अपडेट तैयार करना भी था।

पीएफआई की लीगल सैल भी है। जिसमें शामिल वुकला (वकीलों) नियमित तनख्वाह दी जाती थी। ये सभी पीएफआई के फुल टाइमर होते थे। कई तरह के आपराधिक कृत्यों से होने वाली काली कमाई पीएफए के गुर्गों को घर-मकान-दुकान-दवा-दारू और शादी विवाह के खर्च की जाती थी।

प्रोजेक्ट 2047
ईडी की चार्जशीट में जो सबसे सनसनीखेज खुलासा हुआ है वो प्रोजेक्ट 2047 है। पीएफआई ने प्रोजेक्ट 2047 नाम का एक विजन डॉक्युमेंट तैयार किया था। इसका मकसद ये था कि 2047 तक भारत में इस्लामिक जिहाद सभी लक्ष्यों को हासिल करना था।

तेजस और ग्रीन वैली, सत्य सारिणी
पीएफआई ने सरकार और खुफिया इकाईयों को गुमराह करने के लिए अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम और लिटरेचर का नाम ऐसा दिया जिससे वो राष्ट्रभक्त दिखें। कैडर को घात लगाकर हमला करने वाले प्रोग्राम का नाम ‘हेल्थी पीपुल हेल्दी नेशन’ था, जबकि शरिया कानून को फैलाने और इस्लामिक तौर-तरीकों जानकारी देने लिए जो बुकलेट छापी गयी थी उसका नाम पाठशाला (पादशाला) रखा गया था।

यह बुकलेट पीएफआई की रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग ने तैयार की थी। इसके अलावा तेजस बुक्स, तेजस न्यूज, तेजस वीकली और तेजस पाक्षिक नाम के न्यूज पेपर्स थे मलयाली भाषा में पीएफआई के मुखपत्र थे। इसी तरह कन्नड़ में प्रस्तुता,और तमिल भाषा में विदियाल वेल्ली, पुत्य विदियाल अखबार थे। इसके अलावा ग्रीन वैली नामके प्रोजेक्ट्स भी हैं जो एजूकेशन और हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में काम कर रहे थे लेकिन सबका एक मकसद शरिया, इस्लाम और जिहाद था।

स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों में ग्रुप बनाकर लोगों को ब्रेन वॉश करना, हिंदू-ईसाईयों को मुसलमान बनाना और उन्हें जिहाद के लिए तैयार करना था। पीएफआई की एक विंग व्हाट्स एप, ट्विटर, टिंडर , टेलिग्राम पर मैसेज भेजने और का काम करता था।

जूनियर फ्रेंड
पीएफआई के खिलाफ दायर अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया है कि पीएफआई ने एक ऐसा गुट तैयार किया था जिस पर अपने ‘दुश्मनों’ की पहचान करने और उनका काम-तमाम करने की जिम्मेदारी थी। इस ग्रप को जूनियर फ्रेंड कहते थे। इस ग्रुप के मेंबर्स भी फुल टाइम पेड होते थे।

PFI ने घोषित तौर पर बीजेपी और आरएसएस को अपना दुश्मन बताया और उनके खिलाफ संगीन हमलों की साजिश रची। ईडी की यह स्टोरी केरल के बीजेपी ओबीसी मोर्चा के सचिव रंजीत श्रीनिवासन की 19 दिसंबर, 2021 को बेरहमी से हत्या को सपोर्ट करती है। पीएफआई के कैडर ने आतंक बरपा करने और केरल में बीजेपी के प्रभाव को खत्म करने के रंजीत श्रीनिवासन की हत्या ने अलाप्पुझा में उनके घर में परिवार के सामने की थी। कोर्ट ने इस मामले में नामजद किए सभी 15 कातिलों को मौत की सजा का ऐलान किया है।

आरआईएफ
चार्जशीट में ईडी ने दावा किया कि हिंसक अपराधों के आरोपी पीएफआई कैडर को आवास और शादी की योजनाओं की आड़ में पैसा दिया जाता था। ईडी ने यह भी कहा है कि पीएफआई ने विदेश में अपनी मौजूदगी से स्पष्ट रूप से इनकार किया। हालाँकि, ईडी को कुछ और ही संकेत देने वाले सबूत मिले हैं।

पीएफआई रिहेब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ) के खाते में विदेशों से भारी रकम मंगवाता था। जबकि उसके पास एफसीआरए लाइसेंस नहीं था। ईडी ने कहा पीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव अनीस अहमद ने बयान दिया था कि पीएफआई केवल भारत तक सीमित है। जबकि ईडी द्वारा जब्त किए गए डिजिटल डेटा से पता चला कि पीएफआई के खाड़ी देशों में हजारों सक्रिय सदस्य थे, और वे सभी सुव्यवस्थित और संरचित तरीके से धन इकट्ठा कर रहे थे। ईडी ने पीएफआई के विदेशी सदस्यों का डेटा बरामद किया है, जिनकी संख्या 14,428 तक है

ईडी ने कहा कि हमने यूनिटी हाउस, कोझिकोड से जब्त की गई हार्ड डिस्क से एक दस्तावेज़ बरामद किया। इससे पता चला कि पीएफआई के जेद्दा, रियाद, दम्मम, यूएई, कतर, बहरीन, कुवैत, ओमान और एशिया के अन्य क्षेत्रों में सदस्य हैं। ईडी ने ये चार्जशीट हाल ही में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की है जिसपर पटियाला हाउस कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है।

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