Exclusive प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिन के उपवास पर हैं। उन्होंने RamMandirPranPritishtha के पूर्व 11 दिनों में यम-नियम का पालन करने का व्रत लिया है। इस व्रत का अभिप्राय है कि न तो साधक किसी को मन-वाणी-कर्म से किसी को आहत करेगा और न कोई अन्य शक्ति साधक को पीड़ित कर सकेगी। ये दोनों व्रत अत्यंत कठिन हैं। इसलिए ऐसा कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 11 दिन का विशेष अवकाश लिया है। इन 11 दिनों में देश का नेतृत्व उनका कोई प्रतिनिधि कर रहा है। अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिन के आध्यात्मिक अवकाश पर हैं और अगर हैं तो फिर उनका वो प्रतिनिधि कौन है जो राज-काज चला रहा है? बहरहाल, अगर यह सच है कि यम-नियम व्रत का पालन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवकाश लिया है तो 22 सालों में यह पहला अवसर होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अवकाश लिया है।
आध्यात्मिक अवकाश पर जाने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से पहले एक ऑडियो संदेश जारी किया। पीएम ने अपने संदेश में बताया कि 22 जनवरी को उस अद्भुत पल के साक्षी बनेंगे, जिस पर पूरी दुनिया की नजर है। पीएम ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं जो एक तपस्वी की तरह होगा। उन्होंने कहा कि इस समय, अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है।
शास्त्रों में देव प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक विशद एवं वृहद प्रक्रिया है। इसके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं जिनका प्राण प्रतिष्ठा के कई दिन पहले से पालन करना होता है। एक रामभक्त के रूप में प्रधानमंत्री जी राममंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के प्रति एक आध्यात्मिक साधना के भाव से समर्पित हैं। उन्होंने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन और उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है। इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व 11 दिवसीय यम-नियम पालन का अनुष्ठान शुरू किया है।
देव प्रतिष्ठा को पार्थिव मूर्ति में ईश्वरीय चेतना के संचार का अनुष्ठान बताया गया है। इसके लिए शास्त्रों में अनुष्ठान से पूर्व व्रत के नियमों का निर्देश दिया गया है। प्रधानमंत्री जी अपनी दैनिक दिनचर्या में ब्रह्ममुहूर्त जागरण, साधना और सात्विक आहार जैसे नियमों का पालन तो अनवरत ही करते हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री जी ने सभी 11 दिवसीय अनुष्ठान के तौर पर कठोर तपश्चर्या के साथ व्रत लेने का निर्णय किया है।
संदेश की शुरुआत पीएम मोदी ‘राम-राम’ कहते हुए करते हैं। पीएम मोदी आगे कहते हैं, ‘जीवन के कुछ क्षण ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं। हम सभी भारतीयों के लिए, दुनियाभर में फैले रामभक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है। हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण है। चारों दिशाओं में राम नाम की धूम है। राम भजनों की अद्भुत सौन्दर्य माधुरी है। हर किसी को इंतजार है 22 जनवरी का, उस ऐतिहासिक पवित्र पल का।और अब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है।’
पीएम मोदी ने कहा, ‘आध्यात्मिक यात्रा की कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे जो मार्गदर्शन मिला है…उन्होंने जो यम-नियम सुझाए हैं, उसके अनुसार मै विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। इस पवित्र अवसर पर मैं परमात्मा के श्रीचरणों में प्रार्थना करता हूं…ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों का पुण्य स्मरण करता हूं…और जनता-जनार्दन, जो ईश्वर का रूप है, उनसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे आशीर्वाद दें…ताकि मन से, वचन से, कर्म से, मेरी तरफ से कोई कमी ना रहे। साथियों, मेरा ये सौभाग्य है कि 11 दिन के अपने अनुष्ठान का आरंभ, मैं नासिक धाम-पंचवटी से कर रहा हूं। पंचवटी, वो पावन धरा है, जहां प्रभु श्रीराम ने काफी समय बिताया था। और आज मेरे लिए एक सुखद संयोग ये भी है कि आज स्वामी विवेकानंदजी की जन्मजयंती है। ये स्वामी विवेकानंदजी ही थे जिन्होंने हजारों वर्षों से आक्रांतित भारत की आत्मा को झकझोरा था।’
प्रधानमंत्री आगे कहते हैं, ‘आज वही आत्मविश्वास, भव्य राम मंदिर के रूप में हमारी पहचान बनकर सबके सामने है। और सोने पर सुहागा देखिए, आज माता जीजाबाई जी की जन्म जयंती है। माता जीजाबाई, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में एक महा मानव को जन्म दिया था। आज हम अपने भारत को जिस अक्षुण्ण रूप में देख रहे हैं, इसमें माता जीजाबाई जी का बहुत बड़ा योगदान है। और साथियों, जब मैं माता जीजाबाई का पुण्य स्मरण कर रहा हूं तो सहज रूप से मुझे अपनी मां की याद आना बहुत स्वाभाविक है। मेरी मां जीवन के अंत तक माला जपते हुए सीता-राम का ही नाम भजा करती थीं। साथियों, प्राण प्रतिष्ठा की मंगल-घड़ी… चराचर सृष्टि का वो चैतन्य पल… आध्यात्मिक अनुभूति का वो अवसर.. गर्भगृह में उस पल क्या कुछ नहीं होगा… !!! साथियों, शरीर के रूप में, तो मैं उस पवित्र पल का साक्षी बनूंगा ही, लेकिन मेरे मन में, मेरे हृदय के हर स्पंदन में, 140 करोड़ भारतीय मेरे साथ होंगे। आप मेरे साथ होंगे…हर रामभक्त मेरे साथ होगा। और वो चैतन्य पल, हम सबकी सांझी अनुभूति होगी। मैं अपने साथ राम मंदिर के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले अनगिनत व्यक्तित्वों की प्रेरणा लेकर जाउंगा।’
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