Gyrocopter उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने रविवार को कहा कि राज्य में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, वह जल्द ही जाइरोकॉप्टर का उपयोग करके ‘हिमालय एयरसफारी’ शुरू करेगा, जो देश में इस तरह की पहली सफारी होगी।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, विभाग ने कहा कि देश का पहला जायरोकॉप्टर उड़ान परीक्षण शनिवार को हरिद्वार में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
बयान में कहा गया है कि जाइरोकॉप्टर को संचालित करने के लिए आवश्यक मंजूरी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से प्राप्त कर ली गई है।
पर्यटन विभाग के अनुसार, जर्मनी से लाए गए नवीनतम तकनीक वाले ये जाइरोकॉप्टर पर्यटकों को उत्तराखंड के अनछुए स्थलों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जाइरोकॉप्टर उड़ान परीक्षण का हिस्सा रहे उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल अश्विनी पुंडीर ने कहा कि राज्य जल्द ही ‘हिमालयन एयरसफारी’ पहल शुरू करेगा जिसके माध्यम से पर्यटक एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से जा सकेंगे। हिमालय श्रृंखला और शांत नदियों के दृश्यों का आनंद लेते हुए।
उन्होंने कहा कि जर्मनी से खरीदा गया अत्याधुनिक जाइरोकॉप्टर शुरू में विशेष रूप से प्रशिक्षित जर्मन पायलटों द्वारा संचालित किया जाएगा।
पर्यटन विभाग ने कहा कि नागरिक उड्डयन विभाग और संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों की मदद से विभिन्न दर्शनीय स्थानों पर जायरोकॉप्टर के लिए विशेष हवाई पट्टियां विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है।
क्या होता है जाइरोकॉप्टर
जाइरोकॉप्टर एक छोटे हेलीकॉप्टर की तरह दिखता है लेकिन मुख्य अंतर यह है कि इसमें रोटर्स को घुमाने वाला कोई इंजन नहीं है। रोटर बस स्वयं-चालित होते हैं, जिसे “ऑटोरोटेट” कहा जाता है, जिस तरह से हवा उनके माध्यम से बहती है। यह हवा में उड़ने वाली एक बाइक है।
चूंकि इंजन रोटर्स से जुड़ा नहीं है, इसका मतलब यह है कि अगर इंजन उड़ान के दौरान काम करना बंद भी करदे तो भी जाइरोकॉप्टर गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होता है। बहुत ही कम लैंडिंग रोल के साथ इसका मतलब है कि जाइरोकॉप्टर उड़ान के सबसे सुरक्षित तरीकों में से एक है। जाइरोकॉप्टर अधिकांश हेलिकॉप्टर्स या छोटे विमानों, मोटर ग्लाइडर्स की तुलना में अधिक सुरक्षित रूप से कम और धीमी गति से उड़ सकते हैं। जाइरोकॉप्टर मौसम की स्थिति में भी उड़ान भरने में सक्षम हैं।
जाइरोकॉप्टर परंपरागत रूप से खुले कॉकपिट ‘आकाश की मोटरबाइक’ रहे हैं। जाइरोकॉप्टर, इंग्लैण्ड और जर्मनी में इस्तेमाल होते रहे हैं। भारत में जाइरोकॉप्टर को इस्तेमाल करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य होगा। जाइरोकॉप्टर को हवा में उड़ने वाली बाइक भी कहा जाता है। यह ओपन कॉकपिट होता है। एक बार में पायलट सहित दो लोग इस में उड़ान भर सकते हैं। ये काफी नीचे उड़ते हैं इसलिए इसमें उड़ान भरना काफी रोमाचंक होता है।
ऐसा कहा जा रहा है कि Gyrocopter यानी उडने वाली बाइक उत्तराखण्ड में कामयाब हो जाती है तो इसका इस्तेमाल दिल्ली जैसे शहरों में यातायात की समयस्या से निपटने में किया जा सकता है। क्यों कि दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों की सड़कों की क्षमता ज्यादा ट्रैफिक भार झेलने की बची नहीं है। अब तो छुट्टियों और वीकेंड्स पर भी जाम एक आम समस्या बन चुका है। इसलिए प्रमुख स्थानों के लिए Gyrocopter एक अच्छा सस्ता और सुलभ साधन हो सकता है। इसको हैंगर करने की भी जरूरत नहीं होती और इसे किसी भी स्थान पर उतारा जा सकता है। इसको हेलिकॉप्टर के मुकाबले Gyrocopter को बेहद कम स्थान और कम लागत में उड़ाया जा सकता है। दिल्ली में खास तौर पर गुड़गांव, फरीदाबाद या एयरपोर्ट जाने वालों के लिए Gyrocopter की सवारी समय और पैसा दोनों बचाने वाली हो सकती है। Gyrocopter की सवारी फिल्हाल उत्तराखण्ड एडवेंचर के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली है। लेकिन जल्द ही इसका यातायात में जाम की समस्या को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल होने की संभावना है।
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