मामले में मलिक का बगीचा के याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने ऑनलाइन बहस की। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
कोर्ट में बहस के दौरान सरकार की ओर से से कहा कि विवादित भूमि को नजूल भूमि थी, जो दस वर्षों की लीज पर कृषि कार्यों के लिए दी गई थी लेकिन लीज खत्म होने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं हुआ। ये भी बताया गया कि नियम के अनुसार अगर दिए गए कारण के अलावा भूमि को दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो लीज स्वतः निरस्त मानी जाती है।
याचिकाकर्ता साफिया मालिक के अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने बहस करते हुए कहा की उन्हें उस भूमि से न हटाया जाए और उनके निर्माण का ध्वस्तीकरण एक नियमित कानूनी प्रक्रिया के बाद ही किया जाए। सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में कहा कि उन्हें नोटिस जारी करने के चार दिनों के भीतर ध्वस्त कर दिया गया जबकि ये कार्यवाही 15 दिनों के बाद की जाती है।
याची के अधिवक्ता को असिस्ट कर रहे अहरार बेग ने बताया कि उन्हें गलत तरीके से ध्वस्त किया गया है। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व सीएससी चंद्रशेखर रावत ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम से अतिक्रमण हटाने की ड्राइव के दौरान इस भूमि में अतिक्रमण ध्वस्त किया। यह भूमि याची की नहीं थी इस पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किया गया था उसी को नोटिस देने के बाद प्रक्रिया के तहत ही हटाया गया।
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