Pakistan: फ़िलिस्तीनी मुसलमान-मुसलमान, और अफ़ग़ानी मुसलमान कौन? गाजा पर-फिलिस्तीनियों पर यहूदी इसरायल ज़ुल्म कर रहा है, यहूदी इसरायल गाजा से मुसलमानों को बेघर कर रहा है, इसलिए मुसलमानों एक हो जाओ, इसरायल की बर्बादी के लिए जिहाद करो, लेकिन जो पाकिस्तान शरणार्थी अफ़ग़ानी मुसलमानों को बंदूक़ की नोक पर बेघर कर रहा है, उनके घरों को बुलडोज़र चला रहा है, अफ़ग़ानी मुस्लिम औरतों-लड़कियों की अस्मत से खिलबाड़ कर रहा है, उसके ख़िलाफ़ जिहाद कौन करेगा? अफ़ग़ानी शरणार्थी मुसलमान तो काफिर नहीं है!
हिंदुस्तान के देवबंदियो-बरेलवियो, हनफी-सुनफी, हदीसियो और सूफ़ियों आप लोगों को अफ़ग़ानी मुसलमानों पर हो रहे ज़ुल्म-ओ-सितम की कहानी सुनाई नहीं दे रहीं हैं या नहीं, अफ़ग़ानी शरणार्थी मुस्लमि औरतों-बच्चों की चीखें तुम्हारे कानों तक नहीं पहुँच रही क्या?
यहूदियों के ख़िलाफ़ चिल्लाते-चिल्लाते क्या तुम्हारे गले जकड़ गए हैं, क्या तुम्हारी ज़ुबानें सूज गईं हैं, तुम्हारे मुँह से अफ़ग़ानी शरणार्थी मुसलमानों के लिए अल्फ़ाज़ क्यों नहीं निकलते?
ओवैसियो, हैदराबादी बिरयानी पेट में पच गई हो और इसरायल के ख़िलाफ़ तबर्राह पढ़ने से फ़ुरसत मिल गई हो तो जरा उन पाकिस्तानी हुक्कामों के ख़िलाफ़ भी मर्सिया पढ़ दो अफ़ग़ानी मुसलमान बच्चों-औरतों, बूढ़ों और मजलूमों पर ज़ुल्म कर रहे हैं। सर्दी के दिनों में उनके कैंप उजाड़ दिए गए हैं। सिर के ऊपर से छत और मुँह से निबाला छीन लिया है।
मदनियों, भारत की सरकार को कोसते हो, पीएम नरेंद्र मोदी को कोसते हो, अफ़ग़ानियों पर ज़ुल्म करने वाले पाकिस्तानियों के नाम पर तुम्हारी ज़ुबान को लक्वा क्यों मार जाता है। बरेलवी तौकीरियो तुम्हारी आसमानी किताब में फ़्रांस और इसरायल के ख़िलाफ़ ही सिर तन से जुदा करने का फ़तवा-खुतवा लिखा है क्या?
उईगर और अफ़ग़ानी मुसलमानों के पर सितम करने वालों के बारे में तुम्हारी आसमानी किताब के सफ़े क्या कहते हैं, तुमने अभी तक उन्हें पढ़ा नहीं या चीन और पाकिस्तान का नाम आते ही तुम शुतुरमुर्ग की तरह ग़ैरत की रेत में अपना सिर छुपा लेते हो।
इस्लाम के लिए क़ुर्बान होने का दावा करने वालो तुम शफ्फाक झूठ भी बोलते हो। सिंध, बलूचिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में सीनाजनी और शिनजियांग में हो रही नस्लकुशी पर तुम्हारी रगों का खून क्यों नहीं खोलता। ये पाकिस्तान और चीन ग़ुस्ताख़-ए-नबी नहीं हैं क्या? शिनजियांग में मस्जिदों को गुसलखानों-पाखानों में तब्दील कर दिया।
कुछ में शराबखाने और तबायफखाने खुलवा दिए गए। मगर तुमने चीन के ख़िलाफ़ कभी ग़ुस्ताख़-ए-नबी का नारा नहीं लगाया। कभी इस्लाम का ‘अलम’ नहीं उठाया। आख़िर क्यों?
तुम फ़्रांस, इंग्लैण्ड, स्वीडन, इज़रायल और अपनी भारत सरकार के ख़िलाफ़ ही इस्लामियत की आग उगल पाते हो…क्यों कि इन सबने तुम्हें बराबरी का हक़ और आज़ादी दे रखी है- सिर्फ़ इसलिए?
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