विधानसभा में तय हुआ था कि दिल्ली सरकार के मंत्री और ‘‘आप’’ व भाजपा के विधायक एलजी से मिलकर बस मार्शलों को बहाल कराएंगे, लेकर भाजपा ने धोखा दिया- सौरभ भारद्वाज
अपनी नौकरी बहाली की मांग को लेकर सड़क पर उतरे बस मार्शलों को शनिवार को एक बार फिर भाजपा ने धोखा दे दिया। ‘‘आप’’ सरकार द्वारा कैबिनेट की बैठक बुलाकर उनकी नौकरी नियमित करने का प्रस्ताव तो पास कर दिया गया, लेकिन जब मुख्यमंत्री आतिशी उस प्रस्ताव को लेकर भाजपा विधायकों के साथ एलजी हाउस बैठक करने पहुंची तो उसका नतीजा कुछ भी नहीं निकला। भाजपा ने अपने एलजी से बस मार्शलों की नौकरी बहाल नहीं कराई। भाजपा की इस वादाखिलाफी से भड़के बस मार्शल और आम आदमी पार्टी सरकार के कैबिनेट मंत्री और विधायक एलजी हाउस के बाहर ही धरने पर बैठ गए। बस मार्शलों के साथ मंत्री सौरभ भारद्वाज और मुकेश अहलावत, ‘‘आप’’ विधायक दिलीप पांडे, संजीव झा, कुलदीप कुमार, राजेश गुप्ता, रोहित महरौलिया, अजय दत्त और पार्टी के अन्य नेता भी धरने पर बैठ गए और बस मार्शलों की नौकरी बहाल करने की मांग पर अड़ गए। इस पर दिल्ली पुलिस को बुला लिया गया और पुलिस ने मंत्री सौरभ भारद्वाज व मुकेश अहलावत और ‘‘आप’’ विधायकों के साथ बस मार्शलों को बल प्रयोग कर हिरासत में ले लिया।
कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के लोगों और बस मार्शलों को धोखा दिया है। ‘‘आप’’ की सरकार ने बस मार्शलों की नौकरी नियमित करने को लेकर तत्काल कैबिनेट बैठक कर और प्रस्ताव पास कर दिया। उस कैबिनेट नोट पर हमने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं, लेकिन भाजपा के एलजी साहब ने अभी तक उस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने एलजी के जरिए 10 हजार मार्शलों को बेरोजगार किया है। इनकी बदुआएं भाजपा और एलजी साहब को अवश्य लगेगी।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 26 सितंबर को विधानसभा में यह तय हुआ था कि आम आदमी पार्टी और भाजपा के विधायक सब मिलकर इन बस मार्शलों के साथ मिलकर एलजी साहब के पास आएंगे और बस मार्शलों की नौकरी बहाल करवाएंगे। लेकिन 3 अक्टूबर को हमने रात तक इंतजार किया। लेकिन भाजपा के विधायक नहीं आए। आज बड़ी मुश्किल से भाजपा के विधायक आए। दो घंटे तक बस मार्शलों के सामने वीडियो पर पूरी चर्चा हुई। इसपर भाजपा वालों ने कहा कि अगर आप कैबिनेट से यह प्रस्ताव पास कर दोगे तो हम एलजी साहब से इसे पास करवा देंगे। हालांकि ऐसा नहीं होता है। लेकिन फिर भी हमने कहा कि चलो आपकी तसल्ली के लिए इसे कैबिनेट से पास करा देते हैं। इसके बाद हमने उसी समय कैबिनेट को बुलाकर दिल्ली विधानसभा के प्रस्ताव को पास कर एलजी साहब से उसे पास करने की सिफारिश की।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हम मंत्रीयों, विधायकों और बस मार्शलों ने भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता के पैरों में गिरकर उनसे विनती की कि वह हमारे साथ एलजी हाउस आएं। हमने उनकी गाड़ी में मुख्यमंत्री को बैठाया ताकि वह रास्ते से भाग न जाएं। विजेंद्र गुप्ता ने रास्ते में दो बार गाड़ी रोककर यू-टर्न लेने की कोशिश की है। हमारे पास इसका वीडियो है। हम बड़ी मुश्किल से उन्हें लेकर आए हैं। लेकिन जैसे ही उनकी गाड़ी अंदर घुसी। भाजपा के विधायक और हमारी मुख्यमंत्री उनके साथ थीं। बस मार्शल भी अंदर घुसे। लेकिन उन बस मार्शलों को बाहर निकाल दिया गया ताकि एलजी साहब इन दीवारों के पीछे जो षड़यंत्र करें वो जनता के सामने न आ जाए। वो बस मार्शलों को न पता चल जाए। इसलिए हमारे विधायकों और मंत्रियों को भी अदर नहीं जाने दिया। केवल मुख्यमंत्री और भाजपा के विधायकों को अंदर बुला जा रहा है। हम हाथ जोड़कर भाजपा से अपील कर रहे हैं कि जिस तरह दिल्ली सरकार ने आज के आज कैबिनेट पास किया है। उसी तरह भाजपा भी इनकी बहाली के प्रयास करें ताकि इनकी नौकरी लग जाए। जब तक एलजी साहब इसपर साइन नहीं करेंगे तब तक हम यहीं बैठेंगे।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली से उपराज्यपाल वीके सक्सेना जबसे आए हैं, उन्होंने हजारों संविदा कर्मियों की नौकरी खाई है। चाहें वो साढ़े दस हजार बस मार्शल हों, दिल्ली के कई गरीब बेटे बेटियों कों नौकरी से निकाल दिया गया। दिल्ली के सरकारी अस्पताल से डाटा एंट्री ऑपरेटर, एनओ, स्वीपर कमन चौकीदार, डीआरसी के फैलो और सर्विसेज की होम डिलीवरी करने वाले समेत कई बच्चों को निकाल दिया गया। इन्होंने हजारों लोगों को रोजगार किया है। लेकिन आज इनके पाप का घड़ा घर गया है। आज हम भाजपा के विधायकों को किसी तरह से यहां जाएं हैं। उन्होंने अंदर गए बस मार्शलों को निकाल दिया।
महिला बस मार्शल को लात मार एलजी हाउस में भागे भाजपा नेता
जब बस मार्शल अपनी नौकरी बहाली के लिए एलजी हाउस के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। एक महिला बस मार्शल ने बताया कि जब उन्होंने हज़ारों बस मार्शलों की बहाली के लिए भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता के पैर पकड़े तो वह उसे लात मारकर एलजी हाउस में घुस गए। इसके बाद जब दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज रोती हुई उस महिला को वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के पास लेकर गए और उसकी शिकायत लिखने के लिए कहा तो शिकायत दर्ज करने की बजाय पुलिस वाले हंसते हुए वहां से चले गए।
बस मार्शलों की बहाली को लेकर ‘‘आप’’ सरकार उठा चुकी है यह कदम
बस में यात्रियों की सुरक्षा के लिए लगाए गए थे बस मार्शल
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने 2015 में बसों में यात्रा कर रहे लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर बस मार्शल नियुक्त करने का फैसला किया था। खासकर महिलाएं बसों में यात्रा के दौरान खुद को असुरक्षित महसूस कर रही थीं। सभी यात्रियों को बसों के सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर बस मार्शल नियुक्त करने का प्रस्ताव आया था। प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद करीब 10 हजार बस मार्शलों को बसों में तैनात किया गया।
आठ साल तक कोई नौकरी करने में नहीं हुई दिक्कत
सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स (सीडीवी) 2015 से 2022 तक करीब 8 साल बिना किसी बांधा के कार्य करते रहे। इनकी नियुक्ति और सैलरी जारी करने में तीन विभाग परिवहन, राजस्व और वित्त विभाग शामिल हैं। बस मार्शलों की कमी पर परिवहन विभाग राजस्व विभाग को लिखता है। इसके आधार पर राजस्व विभाग भर्तियां निकालकर सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स (सीडीवी) की भर्ती करता है और वित्त विभाग उनकी सैलरी का भुगतान करता है। 2015 से 2022 तक तीनों विभागों ने कोई विरोध नहीं किया। लेकिन 2023 की शुरुआत में ही तीनों विभागों का रुख बदल गया। जबकि तीनों विभागों में नियुक्ति अफसर पहले वाले ही थे।
भाजपा के एलजी ने एक नवंबर 2023 को बस मार्शलों को नौकरी से हटाया
तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा बार-बार आदेश देनेके बाद भी 1 नवंबर 2023 को सभी बस मार्शलों को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया। इस पर मंत्री आतिशी ने 15 नवंबर 2023 को तत्कालीन सीएम को चिट्ठी लिखी कि बस मार्शलों को नौकरी से न निकाला जाए। कई महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंचित हैं।
सीएम के निवेदन के बाद भी सैलरी रोकने पर एलजी ने नहीं की अफसरों पर कार्रवाई
तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ने 23 अक्टूबर 2023 को एलजी साहब को लिखे पत्र में बस मार्शलों की तनख्वाह नहीं जारी करने वाले अफसरों पर कारवाई की सिफारिश की थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं कहीं की। अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा था कि अफसरों पर कार्रवाई करने की शक्ति आपके पास है। आपने अगस्त में एक आदेश पास किया था कि अफसरों के खिलाफ केवल आप ही कार्रवाई कर सकते हैं। इसलिए हम यह सिफारिश कर रहे हैं कि आशीष वर्मा, अश्विनी कुमार और आशीष कुंद्र के खिलाफ कार्रवाई की जाए। क्योंकि यही वो तीन अफसर हैं जो बस मार्शलों की तनख्वाह जारी नहीं कर रहे हैं और मंत्रियों के आदेश नहीं मान रहे हैं।
परिवहन मंत्री ने भी अक्टूबर 2023 में लिखा था नोट
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने भी 20 अक्टूबर 2023 को बस मार्शल के मुद्दे पर एक लंबा नोट लिखा था। उस नोट में बताया गया था कि अफसरों ने किस तरह पिछले कई महीनों से बस मार्शलों की तनख्वाह रोकी है। अफसर कह रहे हैं कि बसों में सीसीटीवी और पैनिक बटन लग गए हैं, इसलिए बस मार्शलों की जरूरत नहीं है। जबकि हमें बस मार्शलों की जरूरत है। बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बस मार्शल जरूरी हैं। अलग-अलग घटनाओं के दौरान बस मार्शलों ने महिलाओं को बचाया है। नोट के जरिए उन्होंने बस मार्शलों की सारी पेमेंट क्लीयर करने का अनुरोध किया। साथ ही बस मार्शलों को होम गार्ड के तौर पर रखने का भी अनुरोध किया।
भाजपा के एलजी ने बस मार्शलों को बहाल करने से साफ किया इन्कार
तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ने बस मार्शलों को वापस बहाल करने को लेकर एक बार फिर एलजी साहब को पत्र लिखा और बस मार्शल को नियमित करने के साथ-साथ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन एलजी साहब ने 5 दिसंबर 2023 को एक नोट लिखकर भेजा कि सिविल डिफेंस वालेंटियर्स को डिजास्टर मैनेजमेंट के अलावा किसी चीज के लिए नहीं रखा जा सकता है। इसलिए हम उन्हें वापस नहीं ले सकते हैं। इसके साथ ही एलजी साहब ने बस मार्शल को होम गार्ड के तौर पर रखने की अनुमति भी नहीं दी।
तत्कालीन सीएम केजरीवाल ने एलजी को लिखी थी चिट्ठी
दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ने 27 अक्टूबर 2023 को फिर से एलजी साहब को एक चिट्ठी लिखी थी। पत्र में उन्होंने साफ लिखा था कि मेरा पुराना नोट उन अधिकारियों की कानूनी आपत्तियों पर था, जो यह कह रहे थे कि सिविल डिफेंस वालंटियर्स को नियमित नौकरी पर नहीं रखा जा सकता, उन्हें केवल आपदा के समय ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने बस मार्शल की बहाली को लेकर 23 अक्टूबर 2023 को एलजी को अलग से पत्र लिखा था। उस पत्र में उन्होंने बस मार्शलों को होम गार्ड के तौर पर रखने की बात कही थी कि जब तक ये लोग होम गार्ड के तौर पर नियुक्त नहीं होते, तब तक उन्हें बस मार्शल के तौर पर जारी रखा जाए।