ऐसी खबरें आ रही हैं कि Jharkhand से गठबंधन सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई। ईडी किसी भी समय झारखण्ड के मुख्यमंत्री Hemant Soren के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और ठीक उसी राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन उस खत को भी खोल सकते हैं जिसमे निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी।
निर्वाचन आयोग ने उन्हें अवैध खनन के एक मामले में दोषी पाया था और उनको अयोग्य घोषित करने की सिफारिश एक सील बंद लिफाफे में राज्यपाल को भेजी थी। ‘कतिपय’ कारणों से निर्वाचन आयोग से आए लिफाफे की सील अभी तक नहीं टूटी है। ध्यान रहे यह लिफाफा पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के कार्यकाल में आया था। रमेश बैस चले गए और विरासत में वो लिफाफा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को दे गए।
सियासी हलकों में खबर है कि महामहिम ने अलमारी का तालाखुलवाकर हेमेंत सोरेन की फाइल सीलंबद रखे लिफाफे सहित तलब कर ली है। उन्हें भी किसी के संकेत का इंतजार है।
इससे पहले, रांची में सोमवार की सुबह से लेकर शाम तक खूब गहमागहमी बनी रही है। कोई कहता है झामुमो के 2/3 विधायकों के इस्तीफे हो गए हैं तो कोई कहता कि इन विधायकों ने BJP को समर्थन पत्र लिख कर दे दिया है। कुछ नेता टीवी चैनलों पर यह बयान भी देते आए कि अगर हेमंत सोरेन इस्तीफा देते हैं तो राज्यपाल अगला कदम महाधिवक्ता और अपने विधि और संविधान परामर्शकों से परमार्श करने के बाद ही कोई कदम उठाएं।
कयास लगने लगे कि हेमंत सोरेने को ईडी गिरफ्तार कर सकती है या राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन निर्वाचन आयोग के पत्र के आधार पर अयोग्य घोषित कर सकते है इसलिए गाण्डेय से विधायक सरफराज अहमद से इस्तीफा दिलवा दिया है। ताकि सेफ सीट से हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा कर सत्ता पर परोक्ष रूप से काबिज रह सकें।
ये खबरें भी रांची के सियासी गलियारों में खूब घूमी कि हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित होते ही झामुमो सरकार गिर जाएगी। मौके का फायदा उठाते हुए बीजेपी झामुमो के बागी विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल के सामने पेश कर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
चर्चा यह भी जोरों पर रही कि ईडी के पास हेमंत सोरेन ने अपना हलकारा भेज ही दिया है। इन हालातों में ईडी उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी। फिर भी राज्यपाल अगर उन्हें अयोग्य घोषित करते हैं तो वो विधानमण्डल दल की मंजूरी से विधायक रहे बिना भी छह महीने तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकते हैं। दस महीने बाद चुनाव होने ही हैं तो फिल्हाल हेमंत सोरेन को न तो चिंता करने की जरूरत है और ईडीे या राज्यपाल से डरने की जरूरत है।
हालांकि, खबरें ये भी हैं कि राजद-कांग्रेस के साथ गठबंधन वाली झामुमो इस समय खुद को असहज महस कर रही है। इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीन जनवरी को गठबंधन के समस्त विधायकों की बैठक बुलाई है। यह बैठक पहले से तय नहीं थी। मौजूदा घटनाक्रम के बाद आनन-फानन में बुलाई गई है। हेमंत सोरेन के इस कदम से सियासी गलियारों में तरह-तरह की खबरें फैलना स्वभाविक है। रांची से लेकर दिल्ली तक बीजेपी नेताओं की सक्रियता भी काफी कुछ बयान करती है।
The Board of Control for Cricket in India (BCCI) has revealed the 15-member squad for…
Here’s the complete list of this year’s Golden Globe winners
Australia defeated India by six wickets in the fifth and final Test match in Sydney,…
The Supreme Court today directed the tagging of a plea filed by AIMIM President Asaduddin…
Mass Shooting in Queens: At least 10 people were injured during a mass shooting outside the…
Renowned tabla maestro Zakir Hussain passed away last night in the United States at the…