Nitish Kumar: राइटविंगर लेखक-विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने अपने यूट्यूब चैनल पर दो दिन पहले कहा था कि बिहार के चीफ़ मिनिस्टर नीतीश कुमार ज़ुबान पर कुछ और दीमाग में कुछ और चल रहा है।
मतलब यह कि वो आरएसएस के नेता दीन दयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होते हैं लेकिन एनडीए में जाने के सवाल पर गोल-मोल हो जाते हैं। अब यह बात, बिहार ही नहीं पूरे देश में चर्चा हो रही है। लोग एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारेंगे? केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख पशुपति पारस ने मंगलवार को नीतीश कुमार के एनडीए में आने पर स्वागत करने की बात कहते हुए कहा कि समय बलवान है। लेकिन बीजेपी नेता सुशील मोदी कहते हैं कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।
बहरहाल, नीतीश कुमार कब क्या निर्णय लेंगे, यह किसी को पता नहीं है।वैसे, नीतीश कुमार की नजदीकियां भाजपा के साथ दिखती हैं। सोमवार को दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर उनकी प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद इस बात को और बल मिला कि उनकी नजदीकियां भाजपा से बढ़ रही है। नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को भी याद करते रहते हैं और उनकी तारीफ में कसीदे भी पढ़ते रहते हैं।
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पिछले दिनों जी20 की बैठक के दौरान राष्ट्रपति द्वारा दिए गए भोज में भी नीतीश कुमार पहुंचे थे और इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी हुई थी। इस दौरान नीतीश कुमार कहते भी रहे हैं कि कौन क्या बोलता है, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं, वे अपना काम करते हैं।
ऐसी स्थिति में विपक्षी दलों के इंडी अलायंस (I.N.D.I Alliance) में शामिल उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोमवार को इस मुद्दे पर कहा था कि नीतीश कुमार को बदनाम करने के लिए ऐसी बातें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस बात में कोई दम नहीं।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कहते हैं कि नीतीश कुमार को मैं अच्छी तरह जानता हूं।हम उनके साथ रहे हैं, आप उनको नहीं जानते हैं, हम उनको अच्छे से जानते हैं। वो17 सालों से मुख्यमंत्री रहे जिसमें 15 साल तो भाजपा के साथ ही रहे न। अब फिर बीजेपी के साथ चले जाएँ तो इसमें कौन सी बड़ी बात है।
प्रशांत किशोर ने सवाल उठाया कि राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश हैं। हरिवंश कौन हैं, नीतीश कुमार की पार्टी के एमपी हैं। अगर नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया है तो हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति का पद को छोड़ क्यों नहीं रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि नीतीश को लेकर सब असमंजस में हैं। इसी बीच लालू यादव ने तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की क़वायद तेज़ कर दी है।
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