पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेशनल डेमोक्रेटिक एलायसं के साथ पहली सियासी कुश्ती में राहुल गांधी का इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस चारों खाने चित हो गया है। संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद अब दिल्ली सर्विसेज बिल को क़ानून बनने में सिर्फ़ औपचारिकता मतलब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हस्ताक्षर बाकी हैं। इस कानून बनने से आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। सियासी दुश्मन कांग्रेस के पहलू में बैठने वाले अरविंद केजरीवाल अब उस पल को कोस रहे होंगे जब वो बैंगलुरु वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुए थे।
राज्यसभा की वोटिंग सिस्टम में ख़राबी आने के कारण राज्यसभा में वोटिंग पेपर स्लिप के जरिए हुआ। राज्य सभा में बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 सदस्यों ने अपना मत दिया और दिल्ली सर्विसेज़ बिल बहुमत से पास हो गया। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा। इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिल से जुड़े विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बिल क्यों जरूरी है, इसके बारे में विस्तार से बताया।
अमित शाह ने कहा कि यह बिल हम शक्ति को केंद्र में लाने के लिए नहीं बल्कि केंद्र को दी हुई शक्ति पर दिल्ली UT की सरकार अतिक्रमण करती है, इसको वैधानिक रूप से रोकने के लिए यह बिल लेकर लाए हैं। गौरतलब है कि लोकसभा में विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच सर्विसेज बिल ध्वनिमत से पारित हो गया था।
दरअसल, कहा यह जा रहा था कि राज्यसभा के मताधिकार प्राप्त 233 सदस्यों में से 121 पहले ही बीजेपी को समर्थन का आश्वासन दे चुके है।विपक्ष यानी केजरीवाल वाल के पक्ष में कांग्रेस, ममता, कम्युनिस्ट वग़ैरा मिलाकर 110 वोट ही पड़ेंगे। दो वोट किसी भी पाले में जा सकते थे। मतलब कि यह तो पहले से पता था कि दिल्ली सर्विसेज़ बिल राज्य सभा में भी पारित हो ही जाएगा। लेकिन जिस बहुमत से यह बिल पास हुआ है उससे पता चलता है कि देश में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम का डंका ही बज रहा है। राज्यसभा में विपक्षी एलायंस को उम्मीद से भी 8 वोट कम मिले हैं। जबकि पीएम मोदी के एनडीए एलायंस को उम्मीद से 10 वोट ज्यादा मिले हैं।
इसका एक आश्य यह भी राहुल गांधी की पीठ पर सवार होकर पीएम मोदी (PM Modi) से पंगा लेने चले अरविंद केजरीवाल अब न घर के रहे और न घाट के। अरविंद केजरीवाल कांग्रेस विरोधी राजनीति कर देश को सियासी विकल्प देना चाहते थे, अब वो ऐसा नहीं कर पाएँगे। न वो कांग्रेस का विरोध कर पाएँगे न कांग्रेस का विकल्प बन पाएँगे। यदि वो राहुल गांधी के एलायंस से बाहर होते हैं और एक बार कांग्रेसी विरोध का परचम उठाते हैं तो धोखेबाज़, दग़ाबाज़ और मतलब परस्त कहलाएँगे। राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पास होना विपक्ष के लिए शुभ संकेत तो नहीं है।
दिल्ली सर्विसेज़ बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले एवं तैनाती से जुड़े अध्यादेश के स्थान पर लाये गये विधेयक का मकसद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के हितों की रक्षा करना है, आम आदमी पार्टी सरकार के हितों को हथियाना नहीं। गृह मंत्री शाह ने कहा है कि विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचार विहीन और लोकाभिमुख शासन है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में जो व्यवस्था थी, उसमें इस विधेयक के माध्यम से किंचित मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।
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