Social Media सेः राहुल गांधी के Grand Father Feroze Gandhy पारसी थे क्या? भाजपा में खांग्रेस, खांग्रेस में वामियों और आप में कामियों के ठगबन्धन की मिलावट से तर, ईसाई जनेऊ पहन रहे हैं, मुल्ला मौलवी राम राम कर रहे हैं, राम राम करने वाले सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास कर रहे हैं, ऐसे भ्रमजाल में फंसकर, कंफ्यूज भारतीय जनता हैरान, परेशान, उदासीन होकर जब वोट करने नहीं निकली तो…आखिरकार… तमाम राजनीति को लात मारकर, भारत के प्रधानमंत्री तक को, राष्ट्रनीति के तहत कहना ही पड़ा…
जागो हिंदुओं, तुम्हारी महिलाओं का मंगलसूत्र खतरे में है!? खांग्रेस लूटकर उनको दे देगी जिनके ज्यादा बच्चे हैं!? ऐसा कांग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक मंच से कहा है, कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है!?
वीडियो के वर्जन सामने आने लगे, पक्ष विपक्ष खुलकर हिंदू मुसलमान की राजनीति करने लगे और कांग्रेस बन गई मुस्लिम लीग और भाजपा ने कांग्रेस की जगह ले ली!?
भारत के प्रधानसेवक को खुलतम बताना पड़ा, हिंदुओं तुम खतरे में हो!?
दीदी असुर, केजरी माफिया, भाजपा लाओ, हम बचाएंगे हिंदुत्व, लेकिन कैसे, बचाएंगे, ऐसे देश में जहां, गौमांस भक्षकों की जनसंख्या दिन दूनी रात बारह गुनी प्रगति कर रही है, और हिंदू हाशिए पर पहुंचा दिया गया है, कैसे करवाएंगे घर वापसी, ये किसी ने नहीं बताया!?
उल्टे समाचार चैनलों पर हमारे विद्वान प्रवक्ता गाय और मिथुन को अलग अलग बता कर, सरकार और खुद को इस जहालत से बचाने में असमर्थ दिखे कि गौमाता की रक्षा, गौहत्या की सजा फांसी, जैसे सनातनी विषयों को, हमारे मेनिफेस्टो से, पहले गौवंश, फिर पशु, कहकर क्यों निकाल दिया गया!?
जिस तेजी से भाजपा का कांग्रेसीकरण हो रहा है, और अपने ही भ्रष्ट, कांग्रेसी सोच वाले, परिवारवादी, जातिवादी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने वाली, मोदी शाह की जोड़ी, सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखने हेतु, प्रतिबद्ध होकर, साम, दाम, दंड, भेद का सहारा लेकर, अन्य हिंदूविरोधी दलों के भ्रष्ट, चिरकुट नेताओं को अपने भीतर समाहित कर रही है, इस बात की क्या गारंटी है, कि कल को, जब इन हिंदूविरोधी नेताओं की संख्या, भाजपा में बढ़ जाएगी, तो, इनमें से कोई, ये नहीं कहेगा कि, ये हिंदू नहीं मारा गया, ये तो आदिवासी था, या वनवासी था, उत्तर भारतीय है, या दक्षिण भारतीय फलां था, वो हिंदू नहीं, उनसे मिलते जुलते हैं!?
और कल की छोड़िए आज ही क्या उखाड़ पा रहे हैं हमारे तमाम, धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक संगठन, सिवाय अपनी अपनी संस्थाओं, और अपने व्यक्तिगत विचारों की पीपणी बजाने के सिवाय, मानों हिंदुत्व की बारात में चढ़कर सत्ता में आए हों!?
आज पश्चिम बंगाल केरल छोड़िए नूंह, मेवात, कैराना, समेत पूरे भारत के हिंदुओं की हत्या, लूट, बलात्कार, लव जेहाद के खूनी खेला की खबर लेने वाला कोई नहीं है, एक अकेले उत्तर प्रदेश, या ऐसे ही एकाध राज्य के मुख्यमंत्री को छोड़कर सब अपना कार्यकाल गुजारने में ऐसे लगे हुए हैं, जैसे अगले कुछ सालों के लिए मिली दावत उड़ाने में लगे हों!?
चुनावी जुमेलबाज़ी के अलावा, कभी किसी को, राष्ट्र धर्म के ह्रास की, हिंदुत्व के विनाश की चिंता और इसके हमलावरों द्वारा, रात दिन किए जा रहे उपायों के इलाज हेतु सकारात्मक प्रयास करने का उद्यम नगण्य नजर आता है!
जैसे कहीं कोई हत्या, लूट, बलात्कार, कब्जा, पलायन अथवा शोषण हो ही नहीं रहा हो, इसलिए चुनाव से पहले तो इसकी बात तक नहीं करते माननीय, और चुनावों के बाद हफ्ता वसूली का ऐसा दौर चलता है, की पान की गुमटी से लेकर, चायवाले तक, सड़कों पटरियों के अतिक्रमण, लाउडस्पीकरों की दिन में पांच बार उठने वाली नापाक हिंदूविरोधी आवाज देखकर लगता नहीं, की हिंदुओं के वोट से बनी सरकार के नेता, मंत्री, पार्षद, विधायक, सांसदों का क्षेत्र हो!
वैचारिक दिवालियेपन की ये स्थिति, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक संगठनों में ही नहीं, पूरे भारत में, सभी जगह है, पार्टी मुख्यालय तक में मिठाई के डब्बों से लैस जालीदार टोपियों का हुजूम उमड़ता है, पार्टी मुख्यालय के बगल में दीनदयाल जी के नाम पर बनने वाले पार्क, यमुना के सौंदर्यीकरण का ठेका हो, या फिर नेफेड जैसी सहकारी संस्था के भारत चावल का डिस्ट्रीब्यूशन सब टोपी वालों को दिया जाता है, हिंदुओं को ठेंगा!?
इसके बावजूद भी मौलिक और राष्ट्रहित में नैरेटिव देने वाले, व्यक्तिगत और सामूहिक चेतना को दिशा देते, शब्द साधक, वक्ता, प्रवक्ता, भूमिपुत्र, मुट्ठीभर ही दिखाई पड़ते हैं, अधिकतर जानकारी, संदेश, और खबरें इत्यादि केवल फॉरवर्ड अथवा आईटी सेल के द्वारा प्रेषित ही होते हैं, अथवा प्रायोजित सनसनीखेज खबरें, या* फिर नेताओं, अभिनेताओं के आपराधिक किस्से, कहानियां और मियां लॉर्ड को सराहती वो खबरें जिसमें एक शराब पीकर, दो लोगों के ऊपर गाड़ी चढ़ाकर, मार देने वाले नाबालिग को 300 शब्दों का निबंध लिखकर देने के एवज में छोड़ दिया जाता है!?
ऐसे में समाज, राष्ट्र, धर्म के ह्रास से जुड़ी वास्तविक समस्याओं और उनके सही समाधान हेतु उचित शब्द, विचार, नैरेटिव की स्थिति ऐसी ही है, जैसे गुलाम भारत में लड़ते, और अंग्रेजों के हाथों प्रताड़ित होकर, बारी बारी, अपना बलिदान देते क्रांतिकारियों की थी, और फिर सत्ता के लुटेरों द्वारा उनकी हत्या के बाद, बाकी बचे हुए क्रांतिकारी, अपनी बारी के इंतजार में, मरने के लिए, अंतिम सांस तक लड़ने को तैयार रहते थे!?
अंततः उन सभी के इस बलिदान का लाभ भी, खांग्रेस के उस अय्याश घुसपैठिए परिवार/समूह को ही होता था, जो गांधी और नेहरू का चमचा था, और मुस्लिम लीग के जिन्ना से भाईचारा निभाने वाला, हिंदुत्व विरोधी, भारत विरोधी, ऐसे ही, आज भी इसका लाभ, केवल धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक और व्यापारिक पायदानों के शीर्ष तक पहुंचता है!
राष्ट्र धर्म हेतु लड़ने वाले, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर, राजगुरु, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, स्वामी श्रद्धानंद समेत तमाम प्रतिबद्ध भारतीय राष्ट्र धर्म की आहुति चढ़ते चले जाते हैं और सत्ता के जोकर्स, गुलाब का फूल, और महंगी बास्केट, टोपी पहनकर आजादी को चरखे से आया बताकर, ईसाई (अंग्रेजी गुलाम मानसिकता वाले) खांग्रेसियों से भारत का विभाजन कर, लूट में अपने छोटे इस्लामिक सहयोगी जिन्ना और उसके परिवार को हिंदुओं की हत्या, लूट, बलात्कार के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश दे देते हैं, और बचे हुए मुसलमानों को यहां भारत में अपने साथ सत्ता में भाई बनाकर, हिंदुओं को खण्डित भारत के अलग अलग राज्यों में अपना व्यक्तिगत चारा बनाकर बांटकर खाते हैं!
भारत की लूट का माल थोड़ा खाओ थोड़ा फेंको की तर्ज पर वामपंथी और कट्टर मुस्लिम शिक्षा तंत्र को शीर्ष पर बैठा कर शुरू होता है जिल्लत ए इलाही अकबर, औरंगजेब, बाबर, खिलजी जैसे कबायली लुटेरों का महिमामंडन और सड़कों, शहरों, गांवों के नाम लुटेरे मुल्लों के नाम पर रखने का खेला बचे खुचे हिंदुओं को बॉलीवुड चांद मियां साईं और ख्वाजा के चक्कर में ऐसा उलझा देता है कि, घर बाहर सभी मंदिरों में मुसलमान चांद मियां की मूर्ति लग जाती है!?
खांग्रेस द्वारा विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका समेत पूरे सरकारी तंत्र में, मुसलमान और ईसाई माफिया घुसेड़ दिए जाते है, और मीडिया को प्रायोजित, रबिश, पत्तलकारों से भर दिया जाता है, ताकि धर्मांतरण और हिंदुत्व का चीरहरण निर्बाध चलता रहे और कहीं कोई चूं तक न हो!
उधर जर्मनी में बैठा यूट्यूबर, ईसाई हिंदू नाम रखकर, भारत के, हिंदुत्व के खिलाफ, युवाओं को बरगलाता है, और इधर, भारत में बैठे क्रिप्टो मंदिरों और मठों में बैठा दिए जाते हैं!
समस्या ये है कि इस धर्मयुद्ध में जब तक सब कुछ ताक पर रखकर, राष्ट्र धर्म की रक्षा हेतु, लड़ा नहीं जाएगा, इस लड़ाई में जीत छोड़िए, कुछ खास योगदान तक संभव नहीं… वाराणसी की भाषा में बकलोलों द्वारा, बकचोदी चलती रहेगी, टोपियां बढ़ती रहेंगी और एक दिन सत्ता पर काबिज होकर, खुल्ला खेल इलाहाबादी खेलेंगी, जी हां, क्योंकि गुलाम मानसिकता के लोग आज भी *प्रयागराज नहीं इलाहाबाद ही बोलते हैं, टोपियों को सलाम ठोकते हैं!?
और वास्तविकता ये है कि किसी को लड़ना नहीं, अपनी अपनी निजी आवश्यकता अनुसार सबको अंतिम समय तक केवल धनार्जन और धन संग्रह करना है, या फिर देहधर्म पालन हेतु देह घिसना, इसलिए ये तय है की इस लड़ाई हेतु जब तक, पर्याप्त संसाधन नहीं होंगे महायाग को मूर्त रूप देना संभव नहीं, केवल मानसिक मैथुन ही संभव है चलता रहेगा!?
ऐसे ही चलता रहा तो जेहादियों, धर्मांतरण माफियाओं, और भारत विरोधी ताकतों से हार निश्चित है, आज नहीं तो कल, जब इनकी संख्या बढ़ जाएगी, क्योंकि यूरोप की स्थिति बताती है, इनकी संख्या कम करने का कोई उपाय किसी सरकार के पास नहीं है, और भारत का भविष्य लंदन, पेरिस, स्वीडन, माल्मो की तरह आग की लपटों से घिरा, धू धू कर जलता दिखाई देता है!?
यदि कश्मीर फाइल, केरला स्टोरी, धारा 370, मैं अटल हूं, और रजाकार जैसी फिल्मों की सच्ची कहानियों की असली वजह जाननी है, तो 7 जून को हमारे बारह भी देख लेना और यदि भारत को, हिंदुत्व को, एक कहानी बनने से रोकना है तो भविष्य बदलना होगा!?
और यदि भविष्य बदलना है, तो किसी न किसी को, इतिहास बनाना होगा, जो वर्तमान में सही निर्णय और क्रियाशीलता से ही संभव है!?
जय जय सीताराम, जय श्रीकृष्ण, हर हर महादेव, गौ वन्देमातरम, भारत माता की जय बोलते रहें, जब तक शत्रुबोध के अभाव में पूर्वोत्तर भारत की तरह डोडो🦤 बनकर नगण्य, लुप्तप्राय, अल्पसंख्यक और अंततः समाप्त न हो जाएं!?
यदि आपको लगता है कुछ और कर सकते हैं तो राष्ट्र धर्म रक्षा हेतु, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सहायता संघ का हिस्सा बनें, जैसे कभी कांग्रेस की हिंदूविरोधी नीतियों से, अलग होकर स्वयमंसेवक बने थे उद्देश्य एक ही है, लक्ष्य भी एक, अखण्ड भारत!
Renowned tabla maestro Zakir Hussain passed away last night in the United States at the…
Bangladesh: Chittagong Court accepts petition to expedite Chinmoy Das’s bail hearing
Indian chess prodigy Dommaraju Gukesh made history today by becoming the youngest World Chess Champion.
The suicide of a Bengaluru techie has triggered massive outrage across the country, sparking an…
In the Pro Kabaddi League, the Gujarat Giants will take on the Jaipur Pink Panthers…
Abdulnasser Alshaali, has extended an offer to host the much-anticipated cricket match between India and…