Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट) की नसीहत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव का चैलेंज, ‘हमारे दावे झूठे हों तो फांसी चढ़ा दो’
कथित भ्रामक विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की हिदायत के बाद बाबा रामदेव की प्रतिक्रिया सामने आई है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव ने कहा कि अगर हम झूठे हैं तो हम पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए। यहां तक कि हमें फांसी दे दी जाए। लेकिन पहले यह देखा जाए कि भ्रम कौन फैला रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवम्बर को नसीहत दी थी कि भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए अन्यथा 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
बाबा रामदेव ने कहा, ‘कल से मीडिया के हजारों साइट्स में एक खबर को वायरल किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई कि झूठा प्रोपेगेंडा करोगे तो करोड़ों लोगों का जुर्माना लगेगा। हम सुप्रीम कोर्ट, देश के संविधान का आदर करते हैं। लेकिन झूठा प्रोपेगेंडा हम नहीं कर रहे। डॉक्टरों के एक ऐसे गिरोह ने ऐसी संस्था बना रखी है जो हमारी संस्कृति और सनातन मूल्यों के खिलाफ भी बोलते हैं भ्रामक प्रचार कर ते हैं। उनका झूठा प्रचार है कि बीपी, शुगर, थायराइड और लीवर जैसी बीमारियों का कोई इलाज नहीं है। हमारे पास हजारों मरीज आते हैं। हमारे पास उन पर ही जो शोध किया गया है, उसके सबूत हमारे पास है। हम तो एक सप्ताह के अंदर 12 से 15 किलो तक का वजन कम कर देते हैं।’
पतंजलि के मुखिया ने कहा कि यदि हम झूठ नहीं बोल रहे हैं तो फिर हमारे खिलाफ कैसा जुर्माना? यह तो उन पर लगना चाहिए, जो झूठ बोल रहे हैं और गलत प्रचार करते हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि बीते 5 सालों से खतरनाक प्रोपेगेंडा चल रहा है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी को झुठलाने के लिए यह प्रचार चल रहा है कि आयुर्वेद में किसी भी चीज का इलाज नहीं है। दरअसल बाबा रामदेव के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अहसान उल्लाह और प्रशांत कुमार की पीठ ने बाबा राम देव को झूठे दावे करने और भ्रामक प्रचार रोकने की हिदायत दी थी और यह भी कहा था कि ऐसा नहीं हुआ तो उन पर भारी जुर्माना किया जाएगा।
दरअसल, कोरोना काल से ही पतंजलि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच विवाद चल रहा है। बाबा रामदेव के कई बयानों को लेकर मेडिकल एसोसिएशन ने आपत्ति जताई थी। यही नहीं एलोपैथी के अपमान का आरोप लगाया था। आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की यह बहस लंबी चली तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और आज बाबा रामदेव को प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी।
दरअसल, कोरोनाकाल में और उसके बाद बाबा रामदेव के खिलाफ दिल्ली, पटना, झारखण्ड, महाराष्ट्र, गुजरात और हरयाणा में लगभग 20 मामले दर्ज करवाए गए थे। यह सिलसिला तभी से चल रहा है। बाबा रामदेव के खिलाफ पहली बार इतनी सख्त टिप्पणी की है। बाबा रामदेव का कहना है कि डॉक्टरों की एक लॉबी मॉडर्न हेल्थ एजूकेशन में ट्रेडिशनल मेडिसिन की ट्रेनिंग की मुखालफत करती है। शायद, उन्हें लगता है कि आयुर्वेद जैसी पद्यति से माडर्न ऐलोपैथी को खतरा हो सकता है। जबकि ऐसा नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि आयुर्वेद प्रिवेंटिव और क्यूरेटिव ट्रीटमेंट पर जोर देता है जबकि ऐलोपैथिक सिम्प्टोमैटिक और कंवेंशनल ट्रीटमेंट पर आधारित है।