उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में पलायन कोई नई बात नहीं है वहीं Tehri Village का मान्दरा बासर भी पलायन की गहरी मार झेल रहा है जबकि सरकार पलायन को रोकने के लेकर तरह तरह हथकंडे अपना रही है लेकिन सरकार की सभी योजनाएं ढाक के पार दिखाई दे रही है जिसे लेकर मान्दरा गांव के ग्रामीणों ने सात साल पहले प्रवासियों को मिलन के लिए अपनाई अनोखी पहल।
एक तरफ उत्तराखंड का पहाड़ी क्षेत्र पलायन की गहरी मार झेल रहा है जबकि सरकार पलायन रोकने और रिवर्स पलायन के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही है लेकिन पलायन रुकने और रिवर्स के नाम पर कोई अंकुश नहीं लग रहा वहीं दूसरी ओर टिहरी जनपद के भिलंगना ब्लॉक स्थित मान्दरा गांव भी पलायन की मार झेल रहा है जिसे लेकर ग्रामीणों और प्रवासियों की अनोखी पहल पर पिछले सात सालों ग्रामोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
प्रवासी ग्रामीण शिवप्रसाद जोशी ने बताया कि हमारी पहली प्राथमिकता पलायन रोकना है जबकि मान्दरा गांव में 90 प्रतिशत पलायन हो रखा है मुश्किल से दो चार परिवार ही गांव में रहते हैं वहीं उन्होंने बताया कि ग्राम्य विकास के लिए हमने पिछले सात साल पहले गांव में भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जिसका मुख्य उद्देश्य प्रवासी ग्रामीणों को एकजुट करना था जो काफी हद तक सफल भी हो रहा है क्योंकि पिछले सात सालों से प्रत्येक जून के महीने अधिकांश प्रवासी ग्रामीण देश विदेशों से लोटकर अपने गांव पहुंचते हैं जिस कारण हम सभी ग्रामीण आपसी पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं जबकि पिछले कई वर्षों से लोगों का मिलना संभव नहीं हो पता था जिस कारण हमारी भावी पीढ़ी को भी रिश्ते नातों की कोई पहचान नहीं थी।
वहीं प्रवासी ग्रामीण शिक्षक राजेंद्र नौटियाल ने बताया कि यहां पर पहले छोटे-छोटे मंदिर हुआ करते थे जबकि पिछले 7 साल पहले ग्रामीणों की पहल पर यहां पर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया और प्रतिवर्ष भाव ग्राम उत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें तमाम प्रवासी और अप्रवासी ग्रामीण एक ही स्थान पर एक दूसरे से मुलाकात कर पाते हैं जिस कारण यहा एक मिलन का भी अहम केंद्र और कार्यक्रम है। वहीं उन्होंने बताया कि गांव में पलायन काफी हद तक हो गया है लेकिन पिछले 2017 से मई जून का महीना प्रवासी ग्रामीणों से गुलजार बना रहता है और पूरे गांव में चकाचौंध बनी रहती है।
वहीं पलायन आयोग के सदस्य रामप्रकाश पैन्यूली ने बताया कि टिहरी जनपद के सीमांत बालगंगा घाटी के मान्दरा गांव के ग्रामीणों द्वारा पिछले सात सालों से ग्रामोत्सव कार्यक्रम के आयोजन कर ग्राम्य विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं जिसके लिए तमाम ग्रामवासी साधुवाद के पात्र हैं, इस तरह के आयोजनों से ग्राम्य विकास के साथ साथ धार्मिक सांस्कृतिक और आपसी मिलन हो जाता है जबकि आने वाली युवा पीढ़ी अपने घर खेत खलिहानों के साथ साथ रिश्ते नातों को भी पहचान पाती है।
पलायन को रोकने के लिए सरकार के सारे हथकंडे जब विफल हो रहे हैं तो ग्रामीणों ने पिछले सात साल पहले अनोखी पहल कर सरकार और पलायन पर गहरा तमाचा मारा जबकि देखने वाली बात होगी कि ये पलायन सिर्फ मई जून में ही रुकेगा या साल के अन्य दिनों और अगल बगल के गांवों में इस तरह की पहल से कुछ असर देखने को मिलेगा।
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