बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी ग्रुप और अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के मामले में सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और समय मांगा है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे कुछ ब्रोकरों की जांच के लिए समय चाहिए। सेबी ने अपनी जांच के बाद पूरी रिपोर्ट सौंपने की बात कही है।
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि में कहा कि जांच कठोरता के साथ सुसंगठित तरीके से की जा रही है। अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच के लिए सेबी विदेशी संस्थाओं से जानकारी जुटा रही है। सेबी ने कहा कि वह अन्य एजेंसियों से भी संपर्क कर रही है। सभी आरोपों की जांच तेजी से चल रही है। जांच के दौरान उभरे तथ्यों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट सौंपी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।
गौतम अडानी की कंपनी पर लगे आरोपों की जांच में सेबी ने 24 में से 17 मामलों की जांच की है। सेबी ने कहा कि बाकी सात मामलों में से चार मामलों की जांच लगभग पूरी हो चुकी है और इस मामले में तैयार रिपोर्ट अधिकारी की मंजूरी और जांच की प्रक्रिया में है। दो अन्य मामलों में सेबी की जांच अंतिम चरण में है, जबकि दूसरे मामले में अंतरिम रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
दरअसल, 24 जनवरी 2023 को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की थी। इसमें अडानी ग्रुप पर कई बड़े आरोप लगाए गए थे और कहा गया कि अडानी ने शेयरों में हेराफेरी की है। इसके अलावा अडानी पर लेनदेन में हेरफेर को लेकर भी आरोप लगाए गए थे. इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से ज्यादा गिर गया था. समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी और गौतम अडानी दुनिया के अमीरों की सूची में नंबर 2 से नंबर 36 पर पहुंच गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को दिए थे क्या निर्देश
11 जुलाई को अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेबी और अधिक समय नहीं दिया जाएगा। सेबी को हर हाल में 14 अगस्त को रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले की जांच जितना संभव है उतनी स्पीड से जारी है और कोशिश रहेगी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को पूरी तरह पालन हो।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि जांच एजेंसियां जांच में सहायता नहीं कर रही हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति दर्ज कराई थी कि ये सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को निर्देश दिए थे कि वो अपने हलफनामे की सॉफ्ट कॉपी याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध करवाएं और साथ ही सॉफ्ट कॉपी कोर्ट में जमा कर यह सुनिश्चित करके इसे रिकॉर्ड पर अपलोड किया जाए।
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि सेबी ने अपना जवाब दाखिल करने के बाद मीडिया में बांट दिया। प्रशांत भूषण ने सेबी पर अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया था।
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*कंपनी की एजीएम में हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर क्या थी अडानी की प्रतिक्रिया *
पिछले महीने 18 जुलाई को 2023 की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए, अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को कंपनी प्रतिष्ठा खराब करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास बताया।
भारतीय अरबपति अडानी ने दावा किया कि शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट “निहित स्वार्थ” वाली पार्टियों द्वारा तैयार की गई “विशेष रूप से लक्षित गलत सूचना और बदनाम करने का एक संयुक्त प्रयास” थी। उन्होंने आगे दावा किया कि समूह की स्थिति को नुकसान पहुंचाने के लिए यह रिपोर्ट जानबूझकर अडानी एंटरप्राइजेज की आगामी सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) से ठीक पहले जारी की गई थी।
अडाणी ने कहा, “यह रिपोर्ट मुख्य रूप से 2004 से 2015 की अवधि के दौरान लक्षित गलत सूचनाओं और मानहानिकारक आरोपों का संगम थी, जिन्हें उस समय उपयुक्त अधिकारियों द्वारा हल किया गया और संबोधित किया गया।” उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण प्रयास है जिसका उद्देश्य समूह की स्टॉक कीमतों को कम करके वित्तीय लाभ उत्पन्न करने के इरादे से उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना है।
इसके अलावा, अडानी समूह के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया था कि समूह ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से सफलतापूर्वक पर्याप्त पूंजी जुटाई है, और इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसी ने समूह की किसी भी कंपनी की क्रेडिट रेटिंग को कम करने का निर्णय नहीं लिया है।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक पैनल द्वारा की गई जांच के निष्कर्षों की ओर इशारा करते हुए विश्वास व्यक्त किया था कि समूह शासन और पारदर्शिता मानकों के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता बनाए रखता है, जिसमें समूह के संचालन में कोई खामी नहीं पाई गई।
अदाणी ने यह भी कहा था कि “सुप्रीम कोर्ट कमेटी की रिपोर्ट हमारे समूह में विश्वास पैदा करने में सहायक रही है। हम अपने शासन और प्रकटीकरण मानकों में अपने विश्वास पर अटल हैं।”
इसी साल जनवरी में, अमेरिका स्थित एक शॉर्ट सेलर की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें स्टॉक से संबंधित मामलों में अडानी समूह की संलिप्तता का आरोप लगाया गया था।
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