Allahabad High Court ने गन्ना अधिकारी का आदेश किया रद्द,नये सिरे से विचार करने का निर्देश

Allahabad High Court ने कहा है कि किसी के पास कृषि भूमि होने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति से इंकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने अर्जी निरस्त करने के आदेश को रद कर दिया है और नये सिरे से पुनर्विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि किसी मृतक कर्मचारी के परिवार के पास कृषि जोत होने मात्र से उसकी आय का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

जिला गन्ना अधिकारी संभल ने मृतक सरकारी कर्मचारी के बेटे की अनुकंपा नियुक्ति की मांग को खारिज कर दिया था।जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।

याची ने 18 साल की आयु में वर्ष 2020 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। वर्ष 2011 में उसके पिता की मृत्यु सेवाकाल में हो गई थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।याची के पिता संभल जिले के चंदौसी में जिला गन्ना अधिकारी के आफिस में स्टॉक क्लर्क के पद पर तैनात थे।

कर्मचारी की मृत्यु के बाद दस साल तक परिवार के जीवनयापन करने और उनके पास कुछ कृषि भूमि होने के आधार पर अर्जी अस्वीकार कर दी गई थी।

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने कहा, ” जिला गन्ना अधिकारी, संभल ने यह पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया कि याचिकाकर्ता अमन पाठक या उसकी माँ, यानी मृतक के आश्रित परिवार को इन छोटी जोतों से कितनी उपज मिलती है।और उनकी आय कितनी है ।याची और उसकी माँ के पास दो अलग-अलग गाँवों में एक ही आकार की कृषि जोत होने से यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि इससे याची या मृतक आश्रित परिवार की उचित आय थी ।, जिला गन्ना अधिकारी को इसकी जाँच करनी चाहिए थीऔर इन जोतों से होने वाली वार्षिक उपज पर एक रिपोर्ट देनी थी। ”

दावा करने में देरी के बारे में कोर्ट ने कहा कि जहां तक अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करने में देरी का सवाल है, यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता 9 साल का लड़का था, जब उसके पिता का निधन हो गया था। उसे पिता के निधन के 9 साल बाद आवेदन करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जाहिर है कि उसने वयस्क होते ही आवश्यक आवेदन कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि प्राधिकारी प्रासंगिक कारकों पर पर्याप्त रूप से विचार करने में विफल रहे, जैसे कि मृतक की मृत्यु के समय उसकी आय, विभिन्न स्रोतों से परिवार की वर्तमान आय, कृषि जोत की प्रकृति, तथा विधवा की रोजगार स्थिति और आय।

याची अमन पाठक के आवेदन को खारिज करने का एक और कारण यह था कि मृतक की विधवा (याचिकाकर्ता की मां) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सिर्फ इसलिए कि मां संविदा के आधार पर काम कर रही थी, इसका मतलब यह नहीं है कि परिवार आर्थिक रूप से संघर्ष नहीं कर रहा था। ” आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कोई सरकारी नौकरी नहीं है। याचिकाकर्ता की माँ को प्रति माह एक निर्धारित थोड़ा मानदेय मिलता है।

न्यायालय ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता और उसकी मां के पास जो कृषि भूमि थी, वह इतनी बड़ी नहीं थी कि उससे नियमित आय हो सके।
अधिकारियों ने “यह पता लगाने का प्रयास नहीं किया कि इन छोटी जोतों से कितनी उपज होती है। ”

NewsWala

Recent Posts

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर सौंपा इस्‍तीफा

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार के…

2 weeks ago

भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को हराकर 27 साल बाद दिल्‍ली में सत्‍ता में वापसी की है

भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को हराकर 27 साल बाद दिल्‍ली में सत्‍ता…

2 weeks ago

वसंत पंचमी पर्व पर विशेष

वसंत ऋतु की माघ शुक्लवपंचमी का वैदिक और पौराणिक महत्व है।

3 weeks ago

India showcases military might and cultural heritage at Kartavya Path on 76th Republic Day

The Nation is celebrating the 76th Republic Day today. President Droupadi Murmu led the Nation…

4 weeks ago

Full Dress Rehearsal for Republic Day Parade to Take Place Tomorrow

Full Dress Rehearsal for Republic Day Parade to Take Place Tomorrow

1 month ago

India beat England by 7 wickets in1st T20I at Eden Gardens

India secured a commanding 7-wicket victory over England in the opening T20 international of the…

1 month ago