Gujarat HC: कैडिला के CMD पर रेप और यौन उत्पीड़न का आरोप, गुजरात हाईकोर्ट ने जांच के दिए आदेश

Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात स्थित कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव मोदी के खिलाफ कथित दुष्कर्म एवं यौन उत्पीड़न के आरोपों की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।

गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को पलट दिया, जिसने शुरू में एफआईआर दर्ज करने के लिए पीड़ित की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश में मजिस्ट्रेट को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156(3) के तहत तुरंत एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया गया है।

इसके अलावा, गुजरात हाईकोर्ट ने त्वरित समाधान की आवश्यकता पर बल देते हुए निर्देश दिया है कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को जांच की कमान संभालना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि जांच दो महीने के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए। मामला इस साल नवंबर का है जब कैडिला फार्मास्यूटिकल्स में कार्यरत 27 वर्षीय बुल्गेरियाई फ्लाइट अटेंडेंट ने एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि फरवरी 2022 में राजस्थान की यात्रा के दौरान राजीव मोदी ने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया था।

सीएनबीसी टीवी 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने महिला और कंपनी के बीच पिछले समझौते का हवाला देते हुए 3 अक्टूबर को उसकी याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने जांच प्रक्रिया में अनियमितताओं और खामियों की ओर इशारा करते हुए मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों की कड़ी आलोचना की। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यद्यपि मजिस्ट्रेट आरोपों की प्रकृति को देखते हुए स्वतंत्र रूप से जांच करने के लिए बाध्य थे, लेकिन उन्होंने उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। जब शिकायत में आरोप स्पष्ट थे तो पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए थी।

गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़िता की दलील को स्वीकार किया कि पुलिस ने उसके वेतन भुगतान के संबंध में समझौता हलफनामे को स्वीकार कर लिया जिसका यौन उत्पीड़न के आरोपों से कोई लेना-देना नहीं था। अदालत ने कहा- जांच के रिकॉर्ड को देखें तो ऐसा लगता है कि जांच के लिए विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के संबंध में कई अनियमितताएं थीं। विद्वान मजिस्ट्रेट ने आरोपों के पक्ष में सबूत पेश करने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया। शिकायत में लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए गवाहों को पेश करने का अवसर दिया गया जबकि कहा गया कि शिकायतकर्ता ने कोई सबूत ही पेश नहीं किया.

Leave comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *.