Lok Sabha Elections 2024: पहले HC ने खारिज की याचिका, अब आयकर विभाग ने थमाया 1700 करोड़ का नोटिस
Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस पार्टी को गुरुवार को पहले दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा। उसके बाद आयकर विभाग ने मुश्किलें और बढ़ा दी। आयकर विभाग ने कांग्रेस पार्टी को लगभग 1700 करोड़ रुपये का नोटिस दिया है।

इसके साथ ही लोकसभा चुनावों से ठीक पहले देश की सबसे पुरानी पार्टी की आर्थिक चिंताएं बढ़ गई हैं। आयकर विभाग की नई मांग 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए है। इसमें जुर्माना और ब्याज दोनों शामिल है।

यह राशि और बढ़ने के आसार हैं। आयकर विभाग 2021-22 से लेकर 2024-25 की आय का पुनर्मूल्यांकन का इंतजार कर रही है। इसकी कट-ऑफ तिथि रविवार तक पूरा हो जाएगा। कांग्रेस के वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि पार्टी कानूनी चुनौती को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने आयकर विभाग की इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और अनुचित करार दिया।

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वकील विवेक तन्खा ने आरोप लगाया कि गुरुवार को पार्टी को लगभग 1700 करोड़ रुपये का नया नोटिस बिना प्रमुख दस्तावेजों के भेजा गया। उन्होंने कहा कि देश के मुख्य विपक्षी दल का आर्थिक रूप से गला घोंटा जा रहा है और वह भी लोकसभा चुनाव के दौरान।

कांग्रेस की याचिकाओं को HC ने किया खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें कर अधिकारियों द्वारा उसके खिलाफ चार साल की अवधि के लिए कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू किए जाने को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा और न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव की खंडपीठ ने कहा कि अन्य वर्ष के लिए पुनर्मूल्यांकन शुरू करने में हस्तक्षेप से इनकार करने के पहले के फैसले के अनुसार याचिकाएं खारिज की जाती हैं। मौजूदा मामला वर्ष 2017 से 2021 तक के मूल्यांकन से संबंधित है।

पिछले सप्ताह खारिज की गई अन्य याचिका में कांग्रेस पार्टी ने 2014-15 से 2016-17 मूल्यांकन वर्ष से संबंधित पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू किए जाने को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 22 मार्च को उन दलीलों को खारिज करते हुए कहा था कि कर प्राधिकरण ने प्रथम दृष्टया पर्याप्त और ठोस सबूत एकत्र किए हैं, जिनकी आगे की जांच की आवश्यकता है।

याचिका में कांग्रेस ने दलील दी थी कि आयकर अधिनियम की धारा 153 सी (किसी अन्य व्यक्ति की आय का आकलन) के तहत कार्रवाई उन पड़तालों पर आधारित थी जो अप्रैल, 2019 में चार व्यक्तियों पर की गई थी और यह एक निश्चित समय सीमा से परे थी।

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