Kargil War भारत की पीठ में छुरा घोंपे जाने और धोखा करने के जुर्म को पाकिस्तान ने 26 साल बाद कबूल कर लिया है। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मंगलवार को स्वीकार किया कि इस्लामाबाद ने 1999 में उनके और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भारत के साथ किए गए समझौते का “उल्लंघन” किया है। उन्होंने यह बात जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा कारगिल में किए गए दुस्साहस का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कही।
“28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ शांति समझौता किया। लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया…यह हमारी गलती थी,” शरीफ ने पीएमएल-एन की आम परिषद की बैठक में कहा, जिसने उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के छह साल बाद सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है।
नवाज शरीफ ने लाहौर में एक बड़े जलसे को सम्बोधित करते हुए कहा कि, एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद हमने (नवाज शरीफ) और अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 फरवरी 1999 को लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता के दृष्टिकोण की बात करने वाले समझौते ने एक सफलता का संकेत दिया था। कुछ ही महीनों बाद जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ से कारगिल जंग थोप दी।
शरीफ ने पाकिस्तान के पहले परमाणु परीक्षण की 26वीं वर्षगांठ पर कहा, “राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। अगर (पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान खान जैसे व्यक्ति मेरी सीट पर होता तो वो क्लिंटन की पेशकश स्वीकार कर लेता।” 74 वर्षीय शरीफ ने बताया कि कैसे उन्हें 2017 में पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार द्वारा झूठे मामले में प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ सभी मामले झूठे थे, जबकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक नेता इमरान खान के खिलाफ मामले सच्चे थे। उन्होंने 2017 में इमरान खान को सत्ता में लाने के लिए उनकी सरकार को गिराने में पूर्व आईएसआई प्रमुख जनरल जहीरुल इस्लाम की भूमिका के बारे में भी बात की। उन्होंने इमरान खान से इस बात से इनकार करने को कहा कि उन्हें आईएसआई ने नहीं उतारा है। उन्होंने कहा, “मैं इमरान से कहता हूं कि वे हमें (सेना द्वारा संरक्षण दिए जाने का) दोष न दें और बताएं कि क्या जनरल इस्लाम ने पीटीआई को सत्ता में लाने की बात की थी।” उन्होंने कहा कि खान सैन्य प्रतिष्ठान के चरणों में बैठेंगे।
तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके शरीफ ने कहा कि एक आर्मी जनरल ने उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का हुक्म दिया (वर्ष 2014 में)। उन्होंने कहा, “जब मैंने इनकार किया तो उन्होंने मुझे एक उदाहरण बनाने की धमकी दी।” शरीफ ने अपने छोटे भाई प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की भी प्रशंसा की, जिन्होंने हर मुश्किल समय में उनका साथ दिया। उन्होंने कहा, “हमारे बीच मतभेद पैदा करने की कोशिशें की गईं, लेकिन शहबाज मेरे प्रति वफादार रहे। यहां तक कि शहबाज से पहले भी प्रधानमंत्री बनने और मुझे छोड़ने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।” शरीफ ने कहा कि पीएमएल-एन के अध्यक्ष का पद संभालने के बाद वह पार्टी को मजबूत करने के लिए नए सिरे से प्रयास करेंगे।
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