Aaj ka Panchang स्कंद षष्ठी, आज बच्चों को विपदा से बचाने के लिए माताएं रखती हैं व्रत

Aaj ka Panchang विक्रम संवत 2080  मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की उदया तिथि षष्ठी और सोमवार यानी 18 दिसंबर 2023। षष्ठी तिथि सोमवार दोपहर बाद 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।  रात 9 बजकर 31 मिनट तक वज्र योग रहेगा। देर रात 1 बजकर 22 मिनट तक रवि योग रहने वाला है। इसके अलावा सोमवार देर रात 1 बजकर 22 मिनट तक शतभिषा नक्षत्र रहेगा।  आज बच्चों को विपदाओं से बचाने के लिए माताएं स्कन्द षष्ठी का व्रत रखती हैं।

18 दिसंबर  2023 का शुभ मुहूर्त

उदया तिथि षष्ठी- सोमवार दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक।

वज्र योग- 18 दिसंबर को रात 9 बजकर 31 मिनट तक।

रवि योग- 18 दिसंबर को देर रात 1 बजकर 22 मिनट तक।

शतभिषा नक्षत्र- रविवार देर रात 1 बजकर 22 मिनट तक।

18 दिसंबर  2023 व्रत-त्योहर- स्कंद षष्ठी व्रत।

राहुकाल का समय

दिल्ली- सुबह 08:24 से सुबह 09:42 तक।

मुंबई- सुबह 08:27 से सुबह 09:49 तक।

चंडीगढ़- सुबह 08:30 से सुबह 09:46 तक।

लखनऊ- सुबह 08:07 से सुबह 09:25 तक।

भोपाल- सुबह 08:15 से सुबह 09:35 तक।

कोलकाता- सुबह 07:30 से सुबह 08:51 तक।

अहमदाबाद- सुबह 08:34 से सुबह 09:54 तक।

चेन्नई- सुबह 07:49 से सुबह 09:14 तक।

सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

सूर्योदय- सुबह 7:08 am

सूर्यास्त- शाम 5:22 pm

स्कंद षष्ठी की पूजा-ब्रत और महत्व

स्कन्द षष्ठी का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। यह व्रत ‘संतान षष्ठी’ नाम से भी जाना जाता है। स्कंदपुराण के नारद-नारायण संवाद में संतान प्राप्ति और संतान की पीड़ाओं का शमन करने वाले इस व्रत का विधान बताया गया है। एक दिन पूर्व से उपवास करके षष्ठी को ‘कुमार’ अर्थात् कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। तमिल प्रदेश में स्कन्दषष्ठी महत्त्वपूर्ण है और इसका सम्पादन मन्दिरों या किन्हीं भवनों से होता है।

प्राचीनता एवं प्रमाणिकता
इस व्रत की प्राचीनता एवं प्रामाणिकता स्वयं परिलक्षित होती है। इस कारण यह व्रत श्रद्धाभाव से मनाया जाने वाले पर्व का रूप धारण करता है। स्कंद षष्ठी के संबंध में मान्यता है कि राजा शर्याति और भार्गव ऋषि च्यवन का भी ऐतिहासिक कथानक इससे जुड़ा है। कहते हैं कि स्कंद षष्ठी की उपासना से च्यवन ऋषि को आँखों की ज्योति प्राप्त हुई। ब्रह्मवैवर्तपुराण में बताया गया है कि स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत का मृत शिशु जीवित हो जाता है। स्कन्द षष्ठी पूजा की पौरांणिक परम्परा है। भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कन्द की छह कृतिकाओं ने स्तनपान करा कर रक्षा की थी। इनके छह मुख हैं और उन्हें ‘कार्तिकेय’ नाम से पुकारा जाने लगा। पुराण व उपनिषद में इनकी महिमा का उल्लेख मिलता है।

निर्णयामृत में इतना और आया है कि भाद्रपद की षष्ठी को दक्षिणापथ में कार्तिकेय का दर्शन लेने से ब्रह्महत्या जैसे गम्भीर पापों से मुक्ति मिल जाती है। हेमाद्रि, कृत्यरत्नाकर ने ब्रह्म पुराण से उद्धरण देकर बताया है कि स्कन्द की उत्पत्ति अमावास्या को अग्नि से हुई थी, वे चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को प्रत्यक्ष हुए थे, देवों के द्वारा सेनानायक बनाये गये थे तथा तारकासुर का वध किया था, अत: उनकी पूजा, दीपों, वस्त्रों, अलंकरणों, मुर्गों (खिलौनों के रूप में) आदि से की जानी चाहिए अथवा उनकी पूजा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सभी शुक्ल षष्ठियों पर करनी चाहिए। तिथितत्त्व  ने चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कन्दषष्ठी कहा है।
आवश्यक सामग्री

भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, तुलसी का पौधा (गमले में लगा हुआ), तांबे का लोटा, नारियल, पूजा की सामग्री, जैसे- कुंकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौली आसन इत्यादि। यह व्रत विधिपूर्वक करने से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। संतान को किसी प्रकार का कष्ट या रोग हो तो यह व्रत संतान को इन सबसे बचाता है।
पूजन

स्कंद षष्ठी के अवसर पर शिव-पार्वती को पूजा जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें स्कंद देव (कार्तिकेय) की स्थापना करके पूजा की जाती है तथा अखंड दीपक जलाए जाते हैं। भक्तों द्वारा स्कंद षष्ठी महात्म्य का नित्य पाठ किया जाता है। भगवान को स्नान कराया जाता है, नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन भगवान को भोग लगाते हैं, विशेष कार्य की सिद्धि के लिए इस समय कि गई पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है। इसमें साधक तंत्र साधना भी करते हैं, इसमें मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का संयम रखना आवश्यक होता है।
कथा

भगवान कार्तिकेय की जन्म कथा के विषय में पुराणों में ज्ञात होता है कि जब दैत्यों का अत्याचार ओर आतंक फैल जाता है और देवताओं को पराजय का समाना करना पड़ता है। जिस कारण सभी देवता भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचते हैं और अपनी रक्षार्थ उनसे प्रार्थना करते हैं। ब्रह्मा उनके दु:ख को जानकर उनसे कहते हैं कि तारक का अंत भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही संभव है, परंतु सती के अंत के पश्चात भगवान शिव गहन साधना में लीन हुए रहते हैं। इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शिव उनकी पुकार सुनकर पार्वती से विवाह करते हैं। शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिव जी और पार्वती का विवाह हो जाता है। इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है और कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं।
महत्त्व

भगवान स्कंद शक्ति के अधिदेव हैं, देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया था। मयूर पर आसीन देवसेनापति कुमार कार्तिक की आराधना दक्षिण भारत मे सबसे ज्यादा होती है, यहाँ पर यह ‘मुरुगन’ नाम से विख्यात हैं। प्रतिष्ठा, विजय, व्यवस्था, अनुशासन सभी कुछ इनकी कृपा से सम्पन्न होते हैं। स्कन्दपुराण के मूल उपदेष्टा कुमार कार्तिकेय ही हैं तथा यह पुराण सभी पुराणों में सबसे विशाल है। स्कंद भगवान हिंदू धर्म के प्रमुख देवों मे से एक हैं। स्कंद को कार्तिकेय और मुरुगन नामों से भी पुकारा जाता है। दक्षिण भारत में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक भगवान कार्तिकेय शिव पार्वती के पुत्र हैं। कार्तिकेय भगवान के अधिकतर भक्त तमिल हिन्दू हैं। इनकी पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिलनाडु में होती है। भगवान स्कंद के सबसे प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडू में ही स्थित हैं।

NewsWala

Recent Posts

अन्नदाता का हित सर्वोपरि, फसलों को आग से बचाने का हो युद्धस्तरीय प्रयास : सीएम योगी

अन्नदाता का हित सर्वोपरि, फसलों को आग से बचाने का हो युद्धस्तरीय प्रयास : सीएम…

2 weeks ago

Cricket: चिर प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान दुबई में ग्रुप ए मैच में भिड़ेंगे

Cricket: आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट प्रतियोगिता में आज दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में भारत का मुकाबला…

2 months ago

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल से मुलाकात कर सौंपा इस्‍तीफा

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार के…

2 months ago

भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को हराकर 27 साल बाद दिल्‍ली में सत्‍ता में वापसी की है

भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को हराकर 27 साल बाद दिल्‍ली में सत्‍ता…

2 months ago

वसंत पंचमी पर्व पर विशेष

वसंत ऋतु की माघ शुक्लवपंचमी का वैदिक और पौराणिक महत्व है।

3 months ago

India showcases military might and cultural heritage at Kartavya Path on 76th Republic Day

The Nation is celebrating the 76th Republic Day today. President Droupadi Murmu led the Nation…

3 months ago