Aaj ka Panchang मकर संक्रांति, स्नान-दान का दिन, प्रयागराज में कल्पवास का शुभारम्भ

Aaj ka Panchang विक्रम संवत् 2080 पौष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और दिन सोमवार, तदानुसार 15 जनवरी 2024 है। पंचमी तिथि देर रात 2 बजकर 17 मिनट तक रहेगी।  रात 11 बजकर 10 मिनट तक वरीयान योग रहेगा। सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक शतभिषा नक्षत्र रहेगा, उसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र लग जायेगा।

आज ही सूर्य भगवान धनु राशि छोड़ कर मकर राशि में संचरण करेंगे, आज से सूर्य अपने अक्ष पर उत्तर दिशा की ओर झुकना शुरू करते हैं। इसीलिए आज कहते हैं कि सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं। सूर्य उत्तरायण हो पृथ्वी से अंतरिक्ष तक शुभ समय रहता है। भीष्म पितामह ने आज ही के दिन अपना देह त्याग किया था। मकर संक्रांति के पर्व पर स्नान-दान का विशेष महत्व है। उड़द की दाल मिले चावल की खिचड़ी, वस्त्र तिल के बने पकवान, जैसे गजक, देशी घी इत्यादि का दान किया जाता है।

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‘मकर संक्रांति से ही शुरू होता है तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास का शुभारम्भ’

आज से ही तीर्थराज प्रयागराज में माघ मेला यानी कल्पवास का शुभारम्भ होता है। श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के पावन संगर तट पर एक मास का कल्पवास करते हैं, और नित्य संगम स्नान पर अपने जीवन को सफल बनाने और मोक्ष की कामना करते हैं। चलिए जानते हैं आज के पंचाग के बारे में…

आज के शुभ मुहूर्त

पौष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि देर रात 2 बजकर 17 मिनट तक।

वरीयान योग- 11 बजकर 10 मिनट तक।

शतभिषा नक्षत्र- सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा, उसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र लग जाएगा।

व्रत-तिथि- मकर संक्रांति।

राहुकाल

राहुकाल से 15 मिनट पहले और 15 मिनट बाद तक कोई शुभ कार्य न करें। यदि कोई कार्य पहले से चल रहा है उसे जारी रख सकते हैं।

दिल्ली- सुबह 08:34 से सुबह 09:52 तक।

मुंबई- सुबह 08:38 से सुबह 10:01 तक।

चंडीगढ़- सुबह 08:38 से सुबह 09:56 तक।

लखनऊ- सुबह 08:16 से सुबह 09:36 तक।

भोपाल- सुबह 08:25 से सुबह 09:46 तक।

कोलकाता- सुबह 07:40 से सुबह 09:02 तक।

अहमदाबाद- सुबह 08:44 से सुबह 10:05 तक।

चेन्नई- सुबह 08:01 से सुबह 09:27 तक।

सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

सूर्योदय- सुबह 7:15 am

सूर्यास्त- शाम 5:46 pm

दिशा शूल– आज का दिशा शूल पूर्व दिशा में है। आज पूर्व दिशा की यात्रा करने से बचें। यदि संभव न हो तो यात्रा शुरु करने से पहले घर के द्वार पर क्लॉक वाइज परिक्रमा करके यात्रा पर निकलें। यात्रा के दौरान आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ मन ही मन करते रहें।

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