बेचारा! एक अराजक ‘आला माफ-या’ वजीर-ए-आला और लोक-तंतर के हिमायती इंसाफ के हाकिम

4 जून के बाद क्या होगा, होना क्या है? हम जीते तो बल्ले-बल्ले और शेर होगा पिंजरे के भीतर।… अगर शेर जीता तो हम चले जाएंगे विपशयना करने।

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