‘सेल्यूकस की बेटी से सम्राट चंद्रगुप्त की शादी पर चाणक्य की शर्तें और आज की सियासत’
जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से हार गया और उसकी सेना बंदी बना ली गयी, तब उसने अपनी अतिसुंदर पुत्री हेलेन के विवाह का प्रस्ताव सम्राट चन्द्रगुप्त के पास भेजा।
हेलेन, सेल्यूकस की सबसे छोटी और अतिसुंदर पुत्री थी। उसके विवाह का प्रस्ताव मिलने पर आचार्य चाणक्य ने सम्राट चन्द्रगुप्त से उसका विवाह तो करवाया लेकिन विवाह से पहले हेलेन और चन्द्रगुप्त से कुछ शर्ते रखीं थीं। क्या आप जानते हैं कि वो शर्तें क्या थीं। आईए जानते हैं-
पहली शर्त यह थी कि उन दोनों के संसर्ग से उत्पन्न संतान उनके राज्य की उत्तराधिकारी नहीं होगी! चाणक्य ने कारण बताया कि हेलेन एक विदेशी महिला है, भारत के पूर्वजों से उसका कोई नाता नहीं है, भारतीय संस्कृति से हेलेन पूर्णतः अनभिज्ञ है!
दूसरा कारण बताया की हेलेन भारत के दुश्मन, विदेशी शत्रुओं की बेटी है, उसकी निष्ठा कभी भी भारत के साथ नहीं हो सकती!
तीसरा कारण बताया की हेलेन अगर बेटा उत्पन्न हुआ तो विदेशी माँ का पुत्र होने के नाते उसके प्रभाव से कभी मुक्त नहीं हो पायेगा और भारतीय माटी, भारतीय लोगों के प्रति कभी भी पूर्ण निष्ठावान नहीं हो पायेगा!
एक और शर्त आचार्य चाणक्य ने हेलेन के सामने रखी थी कि वह कभी भी चन्द्रगुप्त के राजकार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और राजनीति और प्रशासनिक अधिकार से पूर्णतया दूर रहेगी परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा!
विचार कीजिए… भारत ही नहीं विश्वभर में आचार्य चाणक्य जैसा कूटनीतिज्ञ और महान नीतिकार राजनीतिज्ञ आज तक कोई दूसरा नहीं हुआ!
किन्तु काल का चक्र देखिए आज देश को एक ऐसी ही महिला का पुत्र प्राप्त हुआ है, जो कभी भारत और भारतीय नागरिकों के हितों की चिन्ता नहीं करता, विदेशों में जाकर सदैव भारत एवं भारतीयों के विरुद्ध निरन्तर जहर उगलता रहता है! भारत को और भारत के प्रजातंत्र को अपमानित करता है। भारत के खिलाफ साजिश करने वालों के साथ गुप्त मंत्रणा करता है।
भारत की आजकल की राजनीतिक परिस्थितियों में चाणक्य के तर्क कितने सही बैठते हैं- यह फ़ैसला इस लेख को पढ़ने वाले स्वयं करें।