दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण कराने वाली संस्था BAPS ने ही इसका भी निर्माण करवाया है।
इस मंदिर के दोनों ओर गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है। मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, जिस ओर गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है।
गंगा और यमुना के पवित्र जल के अलावा मंदिर में राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थर और भारत से पत्थरों को लाने में इस्तेमाल किए गए लकड़ी के बक्सों से बना फर्नीचर भी मंदिर की शोभा में इस्तामाल किया गया है। अबू धाबी का यह मंदिर पहला हिंदू मंदिर है, जो देश के विभिन्न हिस्सों के योगदान से बना वास्तुकला का एक चमत्कार है और हिन्दुस्तानी हुनर का प्रतीक है।
मंदिर के दोनों ओर गंगा-यमुना का जल प्रवाहित करने के पीछे की वजह का उल्लेख करते हुए इस ऐतिहासिक मंदिर के प्रमुख स्वयंसेवी विशाल पटेल ने कहा, ”इसके पीछे का विचार इसे वाराणसी के घाट की तरह दिखाना है, जहां लोग बैठ सकें, ध्यान लगा सकें और उनके जहन में भारत में बने घाटों की यादें ताजा हो जाएं। जब पर्यटक अंदर आएंगे तो उन्हें जल की दो धाराएं दिखेंगी जो सांकेतिक रूप से भारत में गंगा और यमुना नदियों को दर्शाती हैं। ‘त्रिवेणी’ संगम बनाने के लिए मंदिर की संरचना से रोशनी की किरण आएगी जो सरस्वती नदी को दर्शाएगी।”
मंदिर की खासियतें:
यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है, जो दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित है। इसे बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा बनाया गया है। मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर पर उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है। मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है।
भारत से कंटेनरों में लादकर लाए गए पत्थर:
मंदिर स्थल पर खरीद और सामान की देखरेख करने वाले विशाल ब्रह्मभट्ट ने बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनर में दो लाख घन फुट से अधिक ‘पवित्र’ पत्थर लाया गया है। उन्होंने कहा, ”गुलाबी बलुआ पत्थर भारत से लाया गया है। पत्थर पर नक्काशी वहां के मूर्तिकारों ने की है और इसे यहां के श्रमिकों ने लगाया है। इसके बाद कलाकारों ने यहां डिजाइन को अंतिम रूप दिया है।”
जिन लकड़ी के बक्सों और कंटेनर में पत्थरों को अबू धाबी लाया गया है, उनका मंदिर में फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल किया गया है। बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने कहा, ”मंदिर में प्रार्थना सभागार, कैफेटेरिया, सामुदायिक केंद्र आदि में रखा गया फर्नीचर पत्थरों को लाने में इस्तेमाल किए बक्सों और कंटेनर की लकड़ी से बनाया गया है। मंदिर के कोने-कोने में भारत का अंश है।”
2019 से चल रहा मंदिर का निर्माण कार्य:
इस मंदिर का निर्माण कार्य 2019 से चल रहा है। मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात ने दान में दी है। मंदिर की आधारशिला 2017 में पीएम मोदी ने रखी थी। संयुक्त अरब अमीरात में तीन और हिंदू मंदिर हैं जो दुबई में स्थित हैं। अद्भुत वास्तुशिल्प और नक्काशी के साथ एक बड़े इलाके में फैला बीएपीएस मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर होगा।
इस मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात ने दान में दी है। संयुक्त अरब अमीरात में तीन और हिंदू मंदिर हैं जो दुबई में स्थित हैं। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को इस नवनिर्मित मंदिर का उद्घाटन करेंगे। वह आज से संयुक्त अरब अमीरात की दो दिवसीय यात्रा पर अबू धाबी पहुंच चुके हैं। यह 2015 के बाद से इस खाड़ी देश की उनकी सातवीं और पिछले आठ महीने में तीसरी यात्रा है।
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