पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने मंगलवार को अगस्त 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद तत्कालीन आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को अफगानिस्तान भेजने के इमरान खान (Imran Khan) सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए तंज कसा है।
लरकाना में एक चुनावी रैली में बिलावल ने फैज़ हमीद की अफगानिस्तान दौरे पर कहा कि “जब हम काबुल में एक कप चाय पी रहे थे तो हमने उसके नतीजों के बारे में नहीं सोचा।”
दरअसल, सितंबर 2021 में, अफगानिस्तान में सरकार स्थापित करने के तालिबान के प्रयासों के दौरान, पाकिस्तान के प्रभावशाली खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद ने काबुल की अचानक यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने अफगान तालिबान के साथ नमाज भी पढ़ी और चाय की चुस्कियां भी ली थीं। हालांकि, चाय की चुस्कियों वाला पोज़ भारतीय एजेंसियों को चिढ़ाने के लिए था।
फैज हमीद, पाकिस्तान के सरकारी हवाई जहाज से काबुल गए थे। इस दौरे की खास बात यह थी कि फैज हमीद सहित जितने भी पाकिस्तानी अफसर काबुल गए थे उनमें से किसी ने भी वीजा हासिल नहीं किया था। क्यों कि उस वक्त इमरान खान और आईएसआई को लग रहा था कि अफगानिस्तान पर अब पाकिस्तान का कब्जा है। तालिबान तो उनकी कठपुतली हैं। हमीद ने हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से विजयी भाव से कहा, “चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
इसमें सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि फैज हमीद के काबुल दौरे की जानकारी उस समय के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को नहीं थी। इस दौरे के बाद जनरल बाजवा ने इमरान खान से अपनी नाराजगी जाहिर की और फैज हमीद से बिना इजाजत काबुल जाने पर जवाब तलब भी किया था।
बहरहाल, बिलावल ने तालिबान (टीटीपी) के साथ शांति वार्ता में शामिल होने और उन्हें पाकिस्तान में, विशेष रूप से कराची और तत्कालीन संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र (फाटा) में पुनर्वास की अनुमति देने के तत्कालीन इमरान सरकार के फैसले की भी आलोचना की। बिलावल ने कहा, “हमने आतंकवादियों को कराची और फाटा (तत्कालीन संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र) में रहने के लिए दावत दी। इमरान खान के इस कदम से पाकिस्तान में बर्बादी आ गई। किया।
पीपीपी अध्यक्ष ने रैली को संबोधित करते हुए देश के सामने मौजूद मौजूदा चुनौतियों का सामना करने और उनसे पार पाने की कसम खाई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लोग 8 फरवरी को आगामी चुनावों में एक नई दिशा चुनेंगे। बिलावल ने नफरत और विभाजन की राजनीति को खत्म करने और लोगों के लिए सरकार स्थापित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने आतंकवाद के बढ़ते खतरे और इसे खत्म करने के अपने दृढ़ संकल्प पर जोर दिया।
बलूचिस्तान के डेरा मुराद जमाली ने कहा कि अब इंतखाबी मैदान में दो ही पार्टी बची हैं। इसलिए इन्हीं दोनों में से उन्हें अपना मुस्तकबिल तय करना है। उन्होंने पीएमएल-एन नेता नवाज शरीफ की आलोचना करते हुए कहा, “आपको यह तय करना होगा कि क्या आप देश का भाग्य ऐसे व्यक्ति के हाथों में देना चाहते हैं जो तीन बार प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया लेकिन देश के लिए कुछ भी करने में विफल रहा।”
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