Exclusive News ईरान के IRGC यानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के कमांडर कासिम सुलेमानी की योमे शहादत पर फातेहा पढने आए लोगों की भीड़ पर हुए एक हमले में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की खबर है। IRGC के कमांडर कासिम सुलेमानी को अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने इराक में एक ड्रोन हमले में मार गिराया था। तभी से ईरान ने अमेरिका और अमेरिकी मददगारों को सबक सिखाने की कसम खाई थी।
हाल ही में इजराइल-हमास युद्ध के दौरान ईरान ने हमास की हथियार गोला-बारूद और पैसे से काफी मदद की है। गाजा में हमास अगर इजराइली फोर्सेस का मुकाबला कर पा रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि ईरान उसको हर तरह से मदद कर रहा है। इसलिए आज आईआरजीसी के कमांडर की योमे शहादत के मौके पर हुए धमाके को इजराइली फोर्सेस का जवाबी हमला माना जा रहा है।
हालांकि मध्य एशिया के रणनीतिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इजराइल की आड़ में धमाका करने वाली यह कोई तीसरी ताकत हो सकती है। क्यों कि इजराइस इस तरह के हमले नहीं करता है। अगर हमला करता है तो उसकी जिम्मेदारी भी लेता है। इजराइल अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए खाली हाथ- बेकसूर लोगों की जान लेने के सिद्धांत में भी भरोसा नहीं करता है।
इजराइल अगर ऐसा करता तो 7 अक्टूबर को इजराइलों के हुए नरसंहार के बदले में अब तक लाखों फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार सकता था। अपने सैनिकों और बंधकों की जान जोखिम में होने के बावजूद इजराइल ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है जिससे निर्दोष फिलिस्तीनियों की जान नाहक जोखिम में पड़े। अभी तक जितने भी फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं वो अपने अनिर्णय या हमास की तरफदारी के कारण मारे गए हैं। क्यों कि हर हमले से पहले इजराइली फोर्सेस ने महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और निर्दोष नागरिकों को गाजा छोड़ कर जाने का पर्याप्त समय दिया है। इजरायली फोर्सेस से रेडियो, टेलिविजन और हवाई जहाज से पर्चे गिराकर बाकायदा सुरक्षित जाने का समय भी दिया है।
बहरहाल, ईरान में कासिम सुलेमानी की दरगाह पर हुए विस्फोट के पीछे पाकिस्तानी एजेंसियों का हाथ होने की गुंजाइश ज्यादा समझी जा रही है। एक तरफ वो शिया मुसलमानों की हत्या कर रहा है और दूसरी तरफ दुनिया का शक इजराइल की ओर जा रहा है। ईरान में सुन्नी इस्लामी आतंकी संगठनों की बढ़ती सक्रिएता के बारे में ईरान ने हाल ही में पाकिस्तान की सरकार को चेतावनी भी दी थी।
यह सच है कि इजरायल, ईरान को एटमी ताकत बनने से रोकने के लिए कोई भी कदम उठा सकता है लेकिन दुश्मनी के नाम पर निर्दोष नागरिकों की हत्या करना उसकी रणनीति में शामिल नहीं रहा है। क्यों कि इजराइल एक सार्वभौमिक शक्ति है जिसने दर्जनभर अरब मुस्लिम देशों को युद्ध के दौरान मात्र छह दिनों में ऐसा सबक सिखाया कि आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वो इजराइल पर हमला कर सके। यह स्थिति जब है कि जब इजराइल चारों ओर से इस्लामी-अरब शक्तियों से घिरा हुआ है।
एक खास बात और यह कि इजरायल में अरबी मुस्लिम नागरिकों की तादाद बहुत ज्यादा है। गाजा-फिलिस्तीन के बराबर, इसके बावजूद इजराइली सरकार उन्हें दोयम दर्जे का इंसान नहीं मानती। उन्हें भी उतने ही अधिकार हैं जितने इजरायल के यहूदियों को हैं। गाजा पट्टी में रहने वाले लाखों अरबी-मुसलमानों को हेल्थ-स्पिटल, एजूकेशन और दो जून की रोटी के साधन यानी रोजगार का जिम्मा भी इजरायल की सरकार ही उठा रही थी।
इजरायल सरकार तो यहूदी और मुसलमानों का भेद मिटाकर सबके साथ मिलकर विकास के पथ पर चलना चाहती है। इसका उदाहरण मिडिल ईस्ट एशिया के देशों के साथ उसके संबंधों में आए सुधार और संबंधों में प्रगति है।
इजरायल का विरोध न सऊदी अरब कर रहा है और यूएई कर रहा और न अरब के प्रगतिशील देश कर रहे हैं बल्कि वो देश जो भुखमरी-गरीबी-बेरोजगारी से जूझ रहे हैं वो इजराइल और ईरान के बीच दुश्मनी खत्म होने नहीं देना चाहते। ऐसे देशों में दो देशों के नाम प्रमुख हैं पहला देश है तुर्की और दूसरे देश का नाम है पाकिस्तान।
The Board of Control for Cricket in India (BCCI) has revealed the 15-member squad for…
Here’s the complete list of this year’s Golden Globe winners
Australia defeated India by six wickets in the fifth and final Test match in Sydney,…
The Supreme Court today directed the tagging of a plea filed by AIMIM President Asaduddin…
Mass Shooting in Queens: At least 10 people were injured during a mass shooting outside the…
Renowned tabla maestro Zakir Hussain passed away last night in the United States at the…