Maldives
भारत विरोधी बयान देने और अभियान चलाने वाले Maldives के राष्ट्रपति की कुर्सी पर संकट मंडराने लगा है। अभी वो चीन में हैं और इधर उनके पीछे अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो गयी है।
अपने ही कुछ मंत्रियों के बयानों की वजह से छोटे से देश मालदीव में बड़ा राजनीतिक घमासान मचा है। भारत के प्रधानमंत्री पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले अपने तीन उप मंत्रियों को मालदीव (Maldives) सरकार ने निलंबित तो कर दिया लेकिन ये तूफ़ान अभी थमने का नाम नहीं ले रहा। भारत ने भी अपनी तरफ़ से नाराज़गी जतायी है, मालदीव से उच्चायुक्त को तलब कर भारत की तरफ से आपत्ति जतायी गई। और अब मालदीव के भीतर ही मुइज्जू सरकार घिर गई है।
संसद में विपक्षी दल के नेता अली अज़ीम ने राष्ट्रपति मुइज्जू को हटाने की मांग कर दी है। इसके लिए उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाने की सिफ़ारिश की है। मुइज्जू पर ये आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने जब ये पूरा विवाद चल रहा था तब समय से हस्तक्षेप नहीं किया, कार्रवाई नहीं की जिससे भारत के साथ संबंध बिगड़े हैं।
इसी बीच मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री ने भारत को मालदीव की ‘911 कॉल’ बताते हुए तमाम बयानबाजी पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब भी मालदीव को जरूरत पड़ी है, भारत उसके बचाव के लिए आगे आया है।
उन्होंने कहा, ‘ये वर्तमान प्रशासन की अदूरदर्शिता है। हम एक छोटे देश हैं, जो सभी के दोस्त हैं, लेकिन हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि हम भारत के साथ सीमा साझा करते हैं। हमारी एक जैसी सुरक्षा चिंताएं हैं।’
मारिया अहमद दीदी ने मालदीव सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘ये हमारी सरकार की अदूरदर्शिता है कि वो सोचते हैं कि हम भारत के साथ अपने पुराने संबंधों को खत्म कर सकते हैं।’
मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा, ‘जब हमें जरूरत होती है, हम एक कॉल करते हैं और आप (भारत) हमें बचाने आ जाते हैं। इस तरह के दोस्त के लिए जब ऐसे अपमानजनक बयान दिए जाते हैं तो ये दुख पहुंचाता है।’
मारिया दीदी ने ऐतिहासिक ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति का समर्थन करते हुए कहा, ‘हम आशा करते हैं कि मालदीव सरकार इंडिया फर्स्ट की नीति को जारी रखेगी। जब भी हमें जरूरत होगी, तब हमारा सबसे करीबी पड़ोसी ही हमारी मदद को आगे आएगा। मालदीव के लोग भी अपना इलाज कराने के लिए भारत ही जाते हैं।’
मारिया अहमद ने कोविड-19 महामारी के दौरान मालदीव के लोगों का भारत में इलाज किए जाने और मदद के तौर पर मिली कोविड वैक्सीन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों के बीच बहुत सहयोग रहा है और हम अपने सबसे करीबी पड़ोसी को बदलने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं।
मालदीव में अब तक जो भी राष्ट्रपति चुना जाता रहा है वो सबसे पहले भारत का दौरा करता रहा है। ये कोई नियम नहीं बल्कि परंपरा रही है। मुइज्ज़ू ने इस परंपरा को तोड़ा है जो कि उनकी भारत से दूरी बरतने की नीति को दिखाता है।
हालांकि ये भी जानकारी आ रही है कि उनका भारत दौरा भी प्रस्तावित है। इसका अनुरोध पहले ही आ गया है। इस विवाद के बाद उनके जल्द भारत दौरे का दबाव बढ़ गया है ताकि संबंधों में आयी खटास को कम किया जा सके।
मालदीव में भारतीय सेना की तैनाती ख़त्म करने का फरमान और हाइड्रोग्राफ़ी समझौता रोक कर उन्होंने अपनी ‘इंडिया आउट’ नीति पर चलने का रवैया दिखाया है। चीन से बेशक वो नज़दीकी दिखा रहे हों लेकिन समय-असमय भारत ही सबसे पहले मालदीव के काम आता है। पुराने संबंधों की वजह से भी और सबसे पास स्थिति बड़े देश के तौर पर भी मदद भेजता है। ये व्यवहारिकता मुइज्जू को जल्द समझ में आ जाएगी ऐसा जानकारों का मानना है।
भारतीय सैलानियों ने जिस तरह से मालदीव की बुकिंग कैंसिल करानी शुरु की है उससे मालदीव के टूरिज़्म सेक्टर बहुत चिंता में है। आर्थिक मार सबसे बड़ी मार होती है और टूरिस्ट आधारित अर्थव्यवस्था वाला मालदीव इसे समझता है क्योंकि पिछले साल सबसे अधिक टूरिस्ट भारत से ही गए।
मालदीव से एक और अहम जानकारी है कि यहां के एक सांसद मिकेल नसीम ने संसद से अनुरोध किया है कि इस पूरे मामले में तुरंत कार्रवाई करने में नाकाम रहे विदेश मंत्री को तलब किया जाए। इन्होंने संसदीय समिति में औपचारिक अर्जी भी दाखिल की है कि जिन मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणियां की उनको भी तलब किया जाए और उनसे इस बाबत सवाल जवाब किया जाए।
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