Pakistan News: कोई माने या न माने लेकिन अब यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान के ट्राइबल एरिया में TTP की समानांतर सरकार चल रही है।
टीटीपी इन इलाकों में अभी तक पाकिस्तान के अफसर और नेताओं से ही हफ्तावसूली करता था लेकिन अब चीन पाक इकोनामिक कॉरिडोर अथॉरिटी से भी खुले आम टैक्स मांग रहा है।
टीटीपी के एक कमांडर ने धमकी दी है कि अगर 5% टैक्स नहीं मिला तो सीपेक के किसी भी प्रोजेक्ट को चलने नहीं देंगे। टीटीपी की इस धमकी के बाद पाकिस्तान ही नहीं चीन के सामने भी बड़ा संकट पैदा हो गया है। टीटीपी ने धमकी दी है कि प्रोजेक्ट की लागत का 5 फीसदी टैक्स नहीं मिला तो वो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा से जुड़ी सड़कों और रेलवे समेत सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को ध्वस्त कर देंगे।
दरअसल ये धमकी टीटीपी के गंडापुर गुट के एक कमांडर ने दी है। उसने डेरा इस्माइल खान में प्रोजेक्ट से जुड़े मजदूरों को संबोधित करते हुए एक वीडियो जारी किया है जिसमें वो कह रहा है कि हर जगह हमारा पांच फीसदी टैक्स है। टैक्स समय पर नहीं आया तो चीनी वर्कर्स और मशीनरी पर हमले किए जाएंगे।
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नवाज शरीफ के शासनकाल में 2013 में शुरू की गई बेल्ट एंड रोड पहल चीन को बाकी दुनिया से जोड़ने वाला नया व्यापार मार्ग विकसित करने की शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी योजना है। ग्वादर को छोड़कर सीपेक के अधिकांश हिस्से में या तो काम बंद है या फिर बहुत धीमी गति से चल रहा है। चीन इस प्रोजेक्ट में लगे पैसे की वापसी के लिए भी पाकिस्तान सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है।
ऐसा बताया जाता है कि पाकिस्तान ने आर्थिक तंगी के चलते चीन के हाथों अनाधिकृत कब्जे वाले गिलगित सहित कराची की सैकड़ों एकड़ जमीन चीन के हाथों गिरवी रख दी है। कहा तो यह भी जाता है कि ग्वादर को भी पाकिस्तान ने चीन के पास गिरवी रख दिया है। इसलिए ग्वादर के बीस किलोमीटर रेडियस में स्टील की मजबूत बाड़ लगा दी है और कोई भी पाकिस्तानी या बलूचिस्तानी इस बाड़ को तब तक पार नहीं कर सकता है जब तक चाईनीज अथॉरिटीज उसको परमीशन न दे दें।
यहां यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि टीटीपी खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। यह प्रांत जेल में बंद इमरान खान का गृहप्रांत है। टीटीपी के कारकून अब मंत्रालयों, सरकारी अफसरों, ठेकेदारों और खैबर पख्तूनख्वाह के व्यापारियों से भी टैक्स मांग रहे हैं।’ सीपेक, चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत से शुरू होकर पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ता है।
सीपेक शिनजियांग के बाहर (चीन के बाहर) उस हिस्से से शुरू होता है जो पाकिस्तान 1963 में चीन को सौंप दिया था। यह हिस्सा 1947 के बंटबारे के बाद भारत को मिला था लेकिन पाकिस्तान नाजायज कब्जा कर लिया था। यहां से शुरू लेकर ग्वादर तक सीपेक की सुरक्षा में पाकिस्तान की ओर से हजारों सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों पर हमले हो रहे हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी भी मजबूत हुआ है। पाकिस्तान में तब से लगातार हमले बढ़ गए हैं। अफगानिस्तान के साथ लगने वाली सीमा से सीधे तौर पर यह हमले हो रहे है। इसी महीने देश के अंतरिम पीएम अनवारुल हक काकड़ ने कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में आतंकी हमलों की संख्या 60 फीसदी बढ़ी है।
वहीं आत्मघाती हमले 500 फीसदी तक बढ़ गए हैं। चीनी वर्कर्स पर हो रहे हमलों से नाराज चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान का दौरा कर दिया था। इतना ही नहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री और आर्मी चीफ को बुलाकर काफी लताड़ भी लगाई थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को रिसीव करने के लिए शी जिनपिंग ने एयरपोर्ट पर शहर की डिप्टी मेयर को भेजकर भारी बेेइज्जति की थी।
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