Imran Khan की पार्टी का सियासी वजूद खत्म, ECP ने पार्टी का सिम्बल किया जब्त
Imran Khan की पार्टी को एक बड़ा झटका देते हुए, पाकिस्तान के शीर्ष चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संगठनात्मक चुनावों और 8 फरवरी के आम चुनावों के लिए क्रिकेट के बल्ले को चुनाव चिन्ह के रूप में रखने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के पांच सदस्यीय पैनल ने पेशावर में 2 दिसंबर को हुए पार्टी चुनावों के खिलाफ पीटीआई के सदस्यों द्वारा दायर कई याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Imran Khan को एक ओर जहां सायफर केस में राहत की खबर आई तो वहीं चुनाव आयोग ने जोर का झटका दे दिया है।एक तरह से इमरान खान की पार्टी को चुनाव के अयोग्य करार दे दिया है। इतना ही पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने पार्टी का चुनाव चिह्न छीन कर पार्टी के अस्तित्व को ही खत्म कर दिया है।
पाकिस्तान के शीर्ष चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संगठनात्मक चुनावों और 8 फरवरी के आम चुनावों के लिए क्रिकेट के बल्ले को चुनाव चिन्ह के रूप में रखने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के पांच सदस्यीय पैनल ने पेशावर में 2 दिसंबर को हुए पार्टी चुनावों के खिलाफ पीटीआई के सदस्यों द्वारा दायर कई याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे शुक्रवार के दिन सुनाया गया। हालांकि पाकिस्तान में शुक्रवार को शुभ दिन माना जाता है लेकिन २२ दिसंबर का शुक्रवार इमरान खान और उनकी पार्टी के लिए ब्लैक फ्राईडे साबित हुआ है।
चुनाव आयोग ने फैसला जारी करते हुए कहा कि पीटीआई अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार चुनाव कराने में विफल रही है। चुनाव आयोग की सुनवाई के दौरान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी अपने चुनावी चिह्न को सियासी सिम्बल के तौर पर बनाए रखने के लिए कामयाब दलीलें नहीं दे पाई। लिहाजा तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी सियासी सिम्ब के रूप में बैट (क्रिकेट के बल्ले) को बरकरार नहीं रख सकती।
इस फैसले के साथ ही जेल में बंद पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के करीबी सहयोगी गौहर खान ने अपनी नियुक्ति के कुछ दिनों बाद पीटीआई के अध्यक्ष के रूप में अपना पद खो दिया।
ईसीपी के फैसले के बाद पीटीआई या तो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है या फिर निर्दलीय के तौर पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। यह किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन भी कर सकता है ताकि उसके उम्मीदवार चुनावों में उस पार्टी के प्रतीक का उपयोग कर सकें। ईसीपी ने न केवल तहरीक-ए-इंसाफ के अस्तित्व को खत्म कर दिया बल्कि इमरान खान के सियासी वजूद को उसूलन खत्म कर दिया है।