Russia-Ukrain News शुक्रवार की रात लोग सो रहे थे और भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म कराने की कोशिशों को अंजाम में बदलने योजना में लगे थे। यूक्रेन के चीफ ऑफ स्टाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अजित डोभाल को फोन किया था। फिर क्या बात हुई- यहां देखिए…
नाटो और अमेरिका भले ही यूक्रेन को हथियारों का जखीरा मुहैया करवा रहे हों लेकिन पर्दे के पीछे की सच्चाई यह है कि वो अब इस युद्ध को खत्म करवाना चाहते हैं। युद्ध खत्म करने की पहल यूक्रेन को ही करनी पड़ेगी। रूसी आक्रामणों के शुरुआती महीनों के बाद ही अमेरिका और ब्रिटेन ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की को सेफ एक्जिट का रास्ता सुझाया था जिसे जेेलेंस्की ने मानने से इंकार कर दिया था। एक बार पोप फ्रांसिस को यूक्रेन भेज कर पश्चिमी देशों और अमेरिका ने साफ-साफ जेलेंस्की को मैसेज दिया कि दुनिया को बर्बादी से बचाने के लिए ‘सफेद झण्डा’ उठाने की हिम्मत जुटाओ और रूस के आगे सरेंडर कर दो।
जेेलेंस्की के सामने विकल्प बहुत कम हैं और हर दिन कम होते जा रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने भारत के सुरक्षा सलाहकार से फोन पर लम्बी बात की और ऐसा तरीका खोजने का आग्रह किया जिससे दुनिया में ऐसा मैसेज जाए कि यूक्रेन ने सरेंडर भी नहीं किया और युद्ध भी खत्म हो गया।
तो इसका यह मतलब माना जाए कि जेलेंस्की चाहते हैं कि भारत, रूस पर जंग रोकने का दबाव डाले! लेकिन क्यों? भारत यूक्रेन-रूस युद्ध को रुकवाने या खत्म कराने के लिए बहुत समय से काम कर रहा है। मगर भारत कभी भी रूस पर अनुचित दबाव डालकर जंग खत्म नहीं करवाएगा। जानकार सूत्र बताते हैं कि अजित डोभाल ने यरमक को युद्ध खत्म करने की योजना बता दी है। वो क्या योजना है उसका खुलासा आगे आने वाले दिनों में होगी। क्यों कि अभी तो बात सुरक्षा सलाहकार स्तर पर हुई है, एक दो दौर और चलेंगे। फिर राष्ट्राध्यक्षों की बैठकें होंगी और युद्ध खत्म होने की योजना पर इम्लीमेंट होगा। इसमें अभी तक एक तथ्य छुपा हुआ है और वो यह कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अभी तक कूटनीतिक तौर पर इस जंग को रुकवाने की क्या तैयारियां की हैं। बहरहाल, सरेंडर के संकेत तो जेेलेंस्की ने भी दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि ‘कोई भी सामान्य व्यक्ति चाहता है कि युद्ध ख़त्म हो। लेकिन हममें से कोई भी अपने यूक्रेन को ख़त्म नहीं होने देगा। इसीलिए जब युद्ध ख़त्म करने की बात आती है तो हम हमेशा जोड़ते हैं – अपनी शर्तों पर। इसीलिए “शांति” शब्द के आगे हमेशा “न्याय” शब्द लगता है। इसीलिए भविष्य के इतिहास में यूक्रेन शब्द के आगे हमेशा “स्वतंत्र” शब्द रहेगा। हम इसके लिए लड़ते हैं। और हम प्रबल होंगे।’
यूक्रेनी राष्ट्रपति के इस संदेश में ‘शांति-न्याय और स्वतंत्र’ बहुत कुछ कहते हैं। भले ही उन्होंने अपना पुराना वाक्य ‘अपनी शर्तों पर’ भी बरकरार रखा है, लेकिन सरेंडर करने वाले की शर्तें नहीं होतीं। वो विजेता के रहमो-करम पर होता है। जेलेंस्की को डर है कि क्रीमिया की तरह यूक्रेन को अपनी एनेक्सी न बना ले। जेलेंस्की ने इस युद्ध को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। मतलब साफ है कि जेलेंस्की चाहते हैं कि, युद्ध के बाद भी उनकी सत्ता यूक्रेन में बनी रहे। लेकिन कौन से यूक्रेन पर, युद्ध के बाद बदली भौगोलिक सीमाओं के भीतर सिमटा यूक्रेन या 24 फरवरी 2022 वाली सीमाओं वाला यूक्रेन। निश्चित तौर पर जेलेंस्की भी जानते हैं कि रूस 24 फरवरी 2022 की सीमा पर वापस नहीं लौटेंगे। इसलिए जेलेंस्की चाहते हैं कि उन्हें यह गारंटी जरूर मिल जाए कि जहां युद्ध विराम हो रूस उससे सीमा से आगे न बढ़े। जेलेंस्की को उनकी गद्दी से न उतारे और युद्ध से वीरान हुए यूक्रेन के पुनर्निमाण में रूस अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के माध्यम से मदद भी करे।
ऐसा प्रतीत होता है कि यरमक की फोन कॉल, अजित डोभाल के पास शायद इसीलिए आई है कि उन्हें भारत के सुझावों में आशा की किरण दिखाई दी है।
बहरहाल, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने शुक्रवार को भारत के प्रधान मंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ फोन पर जो चर्चा की वो स्विट्जरलैंड में वैश्विक शांति शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर केंद्रित थी। कूटनीतिक भाषा में ऐसे ही कहेंगे। जबकि इसके निहितार्थ रूस के साथ शांति समझौता और सफेद झण्डा उठाने की हिम्मत जुटाने कोशिश मानी जा रही है।
अजित डोभाल से बात होने के तुरंत बाद यरमक ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स (ट्विटर) पर साझा भी किया।
यरमक ने एक्स पर साझा किया, “अभी भारत के प्रधान मंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल से बात हुई। दोनों के बीच स्विट्जरलैंड में पहले वैश्विक शांति शिखर सम्मेलन की व्यवस्था पर चर्चा की और पहल के लिए महत्वपूर्ण समर्थन का उल्लेख किया।”
यरमक ने डोभाल को मौजूदा रूस-यूक्रेन संघर्ष, काला सागर में रूस से मुकाबला रूसी विमानों के खिलाफ प्रयास और यूक्रेन के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के बीच अग्रिम पंक्ति की स्थिति के बारे में जानकारी दी।
यरमक ने आभार व्यक्त करते हुए, पिछले जनवरी में स्विट्जरलैंड के दावोस में शांति फॉर्मूला लागू करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्र प्रमुखों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेश नीति सलाहकारों की चौथी बैठक में भारत के डिप्टी की भागीदारी के लिए डोभाल को धन्यवाद दिया। दोनों अधिकारियों ने भारत और यूक्रेन के बीच बातचीत जारी रखने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
“यूक्रेनी राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि यरमक ने अपने समकक्ष को अग्रिम पंक्ति की स्थिति, रूस के साथ काले सागर में टकराव और रूसी विमानन के खिलाफ यूक्रेन की सफलताओं और रक्षा उत्पादन में वृद्धि के बारे में सूचित किया। यरमक ने मिसाइलों और ड्रोन के साथ अपने देश को लक्षित करने वाली चल रही आक्रामकता पर जोर दिया।”
यह आखिरी पैरा उतना ही औपचारिक है जितना जंग हारने वाले में लिखा जाता है कि, ‘वो दुश्मन से खून की आखिरी बूंद तक लड़े, दुश्मन के दांत खट्टे हो गए, दुश्मन को लोहे के चने चबाने पड़े…मगर शहीद हो गए।
बहरहाल, भारत की कोशिश है कि शांति हो, युद्ध रुके…बस किसी भी तरह!!
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